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________________ पणसठिमो समवायो पैंसठवां समवाय १. जंबुद्दीवे णं दौवे पणसदि सूर. मंडला पण्णत्ता। १. जम्बूद्वीप-द्वीप में पैंसठ सूर्यमण्डल प्रज्ञप्त हैं। २. थेरे णं मोरियपुत्ते पणसहिवासाइं प्रगारमझावसित्ता मुंडे भविता अगारामओ अणगारियं पव्वइए। २. स्थविर मौर्यपुत्र ने पैसठ वर्ष तक अगार-मध्य रहकर, मुंड होकर, अगार से अनगार प्रव्रज्या ली। . ३. सोहम्मवडेंसयस्स गं विमाणस्स एगमेगाए बाहाए पणदि-पणसट्टि भोमा पण्णत्ता। ३. सौधर्मावतंसक विमान की प्रत्येक बाहु/दिशा में पैसठ-पैसठ भौम प्रज्ञप्त हैं। समवाय-सुतं समवाय-सुतं १६१ १६१ समवाय-६५ समवाय-६५
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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