SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३२ पणतीसइमो समवानो/पैतीसवां समवाय सत्यवचन के अतिशय, जिन कुन्थु, वासुदेव दत्त, बलदेव नन्दन की अवगाहना, माणवक चैत्यस्तंभ, नरकावाससंख्या। १२८ छत्तीसइमो समवायो/छत्तीसवां समवाय ____उत्तराध्ययन, चमरेन्द्र की सुधर्मा-सभा, महावीर की प्रायिकाएँ, सूर्य की पौरुषी-छाया। सत्ततीसइमो समवानो/संतीसवां समवाय ___ कुन्यु के गणधर, हैमवत हैरण्यक की जीवा, विजयादि विमानों के प्राकार, क्षुद्रिका विमान-प्रविभक्ति के उद्देशनकाल, सूर्य की छाया। १३० प्रहत्तीसइमो समवायो/अड़तीसवां समवाय पार्श्व की प्रायिकाएँ, हैमवत-ऐरण्यवत की जीवाओं का धनुःपृष्ठ, मेरु के दूसरे काण्ड की ऊँचाई, विमान-प्रविभक्ति के उद्देशनकाल । १३१ एगणचत्तालीसहमो समवायो/उनतालीसवां समवाय नेमि के अवधिज्ञानी, नरकावास, कर्मप्रकृतियाँ । पत्तालीसइमो समवानो/चालीसवां समवाय अरिष्टनेमि की प्रायिकाएँ, मंदरचूलिका, भूतानन्द के भवनावास, विमान-प्रविभक्ति के तृतीय वर्ग के उद्देशनकाल, सूर्य की छाया, महाशुक्रकल्प के विमानावास । १३३ एक्कचत्तालीसइमो समवानो/इकतालीसा समवाय नमि जिन की आर्यिकाएं, नरकावास, महाविमान-प्रविभक्ति के प्रथम वर्ग के उद्देशनकाल। बायालोसइमो समवानो/बयालीसवां समवाय महावीर की श्रामण्यपर्याय, आवासपर्वतों का अन्तर, कालोद समुद्र में चन्द्र-सूर्य, भुजपरिसों की स्थिति, नामकर्म की प्रकृतियाँ, लवणसमुद्र की वेला, विमान-प्रविभक्ति के द्वितीय वर्ग के उद्देशनकाल, पांचवें-छठे आरे का कालपरिमारण । तेयालीसइमो समवानो/तेयालीसवां समवाय कर्मविपाक अध्ययन, नरकावास, धर्म-जिन की अवगाहना, मंदरपर्वत का अन्तर, नक्षत्र, महाविमान-प्रविभक्ति के पंचम वर्ग के उद्देशनकाल । १३७ १३४ १६४
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy