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________________ १०२ भइ-भृति भक्ख-भक्ष भक्खणया भक्षणता भगवं - भगवन्त् भग्ग भन्न भज्जा -- भार्या भजिय-भर्जित भञ्ज-भञ्ज् ( धातु ) भणभण् (धातु) भण्ड - भाण्ड भण्डग - भाण्डक शब्दसूची भन्त्त—भक्त भद्दा — भद्रा (कामदेवस्य भार्याया भावेमाण-भावयमान भावेत्ता - भावयित्वा भय-भय भरिय-भृत भवक्खय-भव -+-क्षय -- भसेल - मृश ( इल इति प्रत्ययः स्वार्थे ) भाडी -- भाटिं ( मूल्यार्थं गळ्यादिभिः परकीयभाण्ड वहनमिति विवरणकारः ) . भाणियव्व-माणितव्य भाय - भाग भायण-भाजन भारह--भारत भारिया भार्या भाव-भाव entrand नाम ) भद्दा - भद्रा ( चुलणीपितुर्मातु- भास - भाष् ( धातु ) नाम ) भिउडि—भ्रुकुटि भन्ते -- (भद्दन्त वा भदन्त इत्यस्य भिक्खा --- भिक्षा भव-सू (धातु)' भव-भ‍ [ भइ सङ्क्षेपः, भवन्शब्दस्य सर्व- भिक्खायरिया - भिक्षाचर्या नाम्नः संबोधनैकवचनम् भिजमाण -- भिद्यमान आचार्यादीनामामन्त्रणे एव भिन्द - भिदू ( घातु ) प्रयुज्यते ) भीम-भीम भीय भीत भुग्ग-भुन भुज्जो - भूयस् भुअमाण-भुञ्जन्त् भुञ्जान वा
SR No.010825
Book TitleUvasagdasao
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages262
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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