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________________ वा शब्दसूची . [ निसानिसा दृषद्-शिला इति विवर- पक्खिव-प्र+क्षिप् (धातु) णकारः । पालिभापायां निसदा पक्खेव-प्रक्षेप इति।) पगास-प्रकाश निसाम-निशामय (निशम्- पग्गह-अप्रह ' धातोर्णिजन्ते धातुः) पग्गहिय-प्राहिक, (प्रगृहीत निहाण-निधान इत्यर्थे) नीणी-निर्-णी (धातु) पञ्चक्खा-प्रत्याख्या (धातु) नीय-नीच पञ्चक्खाण-प्रसाख्यान नील-नील पञ्चणुभवमाणी-प्रत्यनुभयन्ती नूणं-नूनम् पञ्चस्थिम-प्रत्यस्तमय पाश्चात्य नेत्त-नेत्र नेय-ज्ञेय पञ्चप्पिण-प्रत्यर्षय (घातु) नेयच-नेतन्य पच्चोरुह-प्रति+अव+आ+ह् नेरइय-नरथिक (धानु) नेरइयत्त-नरयिकत्व पच्चोसक-प्रति + अव + स. नो-नो (प्राकृते एव धातुः) पच्छा-पश्चात् पइट्टिय-प्रतिष्ठित पच्छिम-पश्चिम पइविसिट्ठय-तिविशिष्टक पज्जत्त-पर्याप्त पउञ्ज-प्रयुज् (धातु) पज्जवास-परि+उप+आस् पउत्त-प्रयुक्त, प्रवृत्त वा (धातु) पउम-पद्म पञ्च-पाच पउलिय-प्रज्वलित पञ्चम-पञ्चम पओग-प्रयोग [दृश्यते) पञ्चाणुव्वइय-पञ्चाणुवतिक पक्केलय-पक (प्राकृते एव पञ्जलि-प्राञ्जलि
SR No.010825
Book TitleUvasagdasao
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages262
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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