SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर राजें सो मुनिवर कहिये उवझाय ॥ सुगरण तिनका करै तिहुंकाल तास त्रिभु वन वशथाय ।। है अद्भुत अतिशय कारी समरण पेको जाने नरनार याकी llll पंच महाबत निर्मल पाले शुद्ध भावना सहित समन्न् ॥ चेन्द्रिय को करें वंशचार कषाय तजें मुनिजन्न् ॥ माव करण अरू योग सत्त्य पुन सहें शीत आदिक वेदन्न।। मन बच तन को धरे सेम ,सण णान चरित संपन्न । क्षमावत वैराग्यवंत उपसर्ग सह मरणांत कठन्न् । सात वीश ये मूल गुण धारी साधु कहें भगवन्ना।साधे स्वपर कारज को ताते मुनि मनछित दातारा
SR No.010824
Book TitleShrimadvirayanam
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages57
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy