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________________ ( ३३ ) में अनुक्रम से शुद्धि होती जाती है तीसरे में उपशम सम्यक्त्व होता है उस समय पर मिथ्यात्व के चार स्थानिक, तीन स्थानिक और दो स्थानिक रस को निकाल देने पर एक स्थानिक अर्थात् - मिथ्यात्व प्रदेश मात्र जो शांत होने से ज्यादा विन नहीं करते हैं वो रहने पर उपशम सम्यक्त्व होता है । . 1 द्रव्य कर्म को केवली या अवधि ज्ञानी जानते हैं क्योंकि वे सूक्ष्म रूप में आत्मा के साथ मिल जाते हैं और भावकर्म जो चेष्टा वा परिणाम रूप हैं उनको अपन भी जान सक्ते हैं । जि अत्रि पुराण पावा, सव संवर बंध मुक्ख निज्झरणा; जेणं सद्द हई तयं, सम्मं खइगाई बहुभे ॥ १५ ॥ ॥ नवतत्व प्रकरण में ६ तत्वों का स्वरूप बतलाया गया है और विस्तार से आगे आवेगा किन्तु संक्षेप से यहां भी बतला देते हैं । नवतत्वों का संक्षेप से स्वरूप | ,. १ जीवतत्व - ५ इंद्रिय, ३ बल, १ श्वासोश्वास और १ चायु इन दश वा कमसे कम चार द्रव्य प्राण का धारी, अथवा ज्ञानादि भाव प्राण का धारी जीव कहलाता है. ऐसे जीव को
SR No.010822
Book TitleKarm Vipak Pratham Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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