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________________ अपने सच्चरित्र लोकप्रियता और रोगियों के प्रति सदव्यवहार के कारण ख्यातिपाई अलवर नरेश आप से बहुत प्रसन्नथे जव श्रीमान् ने सुनाकि बीकानेर नरेश डाक्टर हरकचंदजी को बुलारहे हैं तब आपने कहा कि हरकचंद को नहीं जाने दूंगा परन्तु अंन में अधिक वेतन पर बीकानेर जाने की आज्ञादेवी अलवर में पांच वर्ष रहकर सन् १९११ सम्बत १९६८ में बीकानेर में नियत हुये यहां भी उन्हों ने राजा और मजा दोनों ही की ओर से बहुत मान पाया पर दुर्भाग्यवश डाक्टर हरकचंदनी को विद्यार्थी अवस्था ही से ( Diabetes ) का रोग होगया था और इसी ने सम्वत १९७२ के असाढ वदी १४ के दिवस डाक्टर साहिब को इस.असार संसार से उठालिया शोक! शांक! उनके माता पिता बन्धुओं के शीक का पार नहीं रहा पर कर्म के आगे किसी की शक्ति काम नहीं आसक्ती. डा० हरकचंदजी एक गुणी पुरुष थे. इस हाय पैसा हाय पैसा के जमाने में जब कि मनुष्य हरमकार से, न्याय से 'अन्याय से, अमीरों को लूट कर या' ग. रीबों को सताकर, वहका कर या ललचा कर, दूसरे का हक छीन कर या जिस प्रकार हो सकेधन समेटन में ही लगा रहता है डाक्टर साहब.की. निर्लोभता धन उपार्जन करने में न्याय. • प्रियता अपने मातहतों के अधिकार का रक्षण करना. अपने
SR No.010822
Book TitleKarm Vipak Pratham Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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