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________________ ( ९६ ) ५ ज्ञानवरणीय कर्म की उ०प्र० १ मतिज्ञाना वरणीय २ श्रुतंज्ञाना वरणीय ३ अवधि ज्ञानावरणीय ४ मनापर्यत्र ज्ञानावरणीय ५ केवल ज्ञानावरणीय ' है दर्शनावरणीय कर्म की उ० प्र०। १ चक्षु दर्शनावरणीय २ अचनु दर्शनावरणीय ३ अवधि दर्शना बरणीय · ४ कत्रल दर्शनावरणीय ५ निद्रा ६ निद्रा निद्रा ७ मचला समचला प्रचला. हथीनद्धी २ वेदनीय कर्म की उ०प्र० । १ शातावेदनीय २ अशातावेदनीय २८ मोहनीय कर्म की उ० प्र०। १ सम्यक्त्व मोहनीय . . २ मिश्र मोहनीय '३ मिथ्यात्वः मोहनीय .. ४ अनंतानुवंधी क्रोध ५. अप्रत्याख्यान क्रोध . ६ प्रत्याख्यान क्रोध .७ संज्वलन क्रोध .. अनंतानुवंधीमान .. अमत्याख्यान मान : १० प्रत्याख्यान मान ११ संज्वलन मान . . . १२ अनंतानुबंधी माया
SR No.010822
Book TitleKarm Vipak Pratham Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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