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________________ ( २ ) इसी अजमेर नगर में जैन युवकोंने उत्तमोत्तम शिक्षा पाई उच्चपद प्राप्त किये, जाति में बड़ी २ श्राशाएं खड़ी की पर हाय, दुर्दैव से यह नहीं देखा गया. यहां पर श्रीयुत फतहचन्दजी स्वाविया ने बैरिस्टरी की परीक्षा पास करके वकालत में नाम पैदा किया, जज्ज हुये, सिरहमलजी सांड बी. ए. ऐलऐल. वी. में उत्तीर्ण होकर इन्दोर में जज हुये पर उनको युवावस्था में ही संसार छोड़ना पड़ा, ऐसी मृत्यु देखकर हमारी माताओं को वहम होने लगे कि यह शिक्षा का ही फल है कि उनकी सन्तान जल्दी मरजाती है. हमारे चरित्रनायक भी इसी दुष्ट काल के ग्रास बने. डाक्टर हरकचन्दजी धाड़ीवाल का जन्म ओसवाल जाति के धाड़ीवाल कुटुम्ब में पोप सुदि ११ सं० १९३३ को हवा. आपके पिता श्रीयुत सेठ मदनचन्दजी धाड़ीवाल अजमेर के एक प्रतिष्ठित पुरुष हैं और आपके बड़े भाई श्रीयुत शिवचन्दजी धाडीवाल कई वर्षों तक वीकानेर राज्य में प्रतिष्ठित पदों पर रहे और अब अपने पिता की सेवा में अजमेर में ही रहते हैं डाक्टर साहब के पिता के भाई श्रीयुत मिलापचन्दजी और नेमीचन्दजी बीकानेर राज्य में बहुत उच्चपद पाचुके हैं और श्रीयुत मिलापचन्दजी अब तक १००) पेन्शन पारहे हैं. हरकचन्दजी को विद्यानुराग देखकर उनके पिताने उनको उच्च कोटि
SR No.010822
Book TitleKarm Vipak Pratham Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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