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________________ महावीरशासन. १०१ भूत करी सिद्धस्वरूपने पाम्मा. वर्तमान चोवीशीना ए छेल्ला जिनेश्वर हता. एओनुं आ धर्मतीर्थ प्रवर्त्ते छे. ते २१००० हजार वर्ष एटले पंचमकाळनी पूर्णता सुधी प्रवर्त्तशे एम भगव - तीसूत्रमां कं छे. आ काळ दश आश्चर्ययी युक्त होवाथी ए श्री धर्मतीर्थ ये अनेक विपत्तिओ आवी गइ छे, आवे छे, अने आवशे. जैन समुदायमां परस्पर मतभेद बहु पडी गया छे. परस्पर निंदाग्रंथोथी जंजाळ मांडी वेठा छे. मध्यस्थ पुरुपो मतमतांतरमां नहीं पडतां विवेक विचारे जिनशिक्षानां मूळ तत्त्वपर आवे छे; उत्तम शीलवान मुनियोपर भाविक रहेछे, अने सत्य एकाग्रताथी पोताना आत्माने दमे छे. काळप्रभावने लीघे वखते वखते शासन कंइ न्यूनाधिक प्रकाशमां आवे छे. 'वंक जडाय पछिमा' एवं उत्तराध्ययन सूत्रमां वचन छे; एनो भावार्थ ए छे के छल्ला तीर्थकर (महावीरस्वामी) ना शिष्यो वांका अने जड थशे अने तेनी सत्यता विषे कोड़ने वोलवु रहे तेम नथी. आपणे क्यां तत्त्वनो विचार करीए छीए ? क्यां उत्तम शीलनो विचार करीए छीए ? नियमित वखत धर्ममां क्यां व्यतीत करीए छीए ? धर्मतीर्थना उदयने माटे क्या लक्ष राखीए छीए ? क्यां दाझवडे धर्मतत्व शोधीए छीए | श्रावक कुळमां जन्म्या एथी क १
SR No.010820
Book TitleMokshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParamshrut Prabhavak Mandal
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1962
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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