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________________ श्री महावीरस्वामीचरित्र. (५५) अने तेने टाले तो हुँ एमने सर्व जागुं." आम धारी ते जेवो स्थिर प्रश्ने रहे एटलामा प्रन्नुए "तने जीव विषयनो संशय ?" एम कहीने पी वेदनां पदोनो नच्चार करी तेनो संशय बेदी नांख्यो; जेथी ते इंश्नतिये पोताना पांचसो शिष्य सहित चारित्र अंगीकार करा. पठी अग्मिन्नूतिना पण कर्म संबंधी संशय दूर थवाथी तेणे पण पांचसो शिष्य सहित दीक्षा लीधी. वली शरीर एज आत्मा, ए संशय बेदावाथी वायुनूलिये पण पांचसो शिष्य सहित व्रत ग्रहण करयु. पंच महानूत संबंधी संशयनो प्रनुए वेदनां वाक्यथी नाश कस्यो, ए नपरथी व्यक्त नामना ब्राह्मणे पांचसो शिष्य सहित व्रत अंगीकार करथु. आजन्मने विषे जेवू होय तेवूज परनवने विषेमले, आ संशय पण प्रनुए बेद्यो; तेथी सुधर्मा नामना ब्राह्मणे पांचसो शिष्य सहित चरित्र लीधुं. बंध अने मोकनो संशय प्रनुए वेदयुक्तिथी द्यो. ए नपरथी मंमिकना पुत्र मंमिते सा. मात्रणसो शिष्य सहित दीक्षा लीधी. देवताल ले के नथी, आ संशय पण प्रन्नुए दवाथी मौर्यपुत्रे त्रसो शिष्य सहित चरित्र लीधुं. नरक डे के नथी, आ शंसय प्रन्नुए उद्यो, एथी अकंपिते त्रासो शिष्य सहित दीक्षा लीधी. पुण्यपाप डे के नथी, आ संशयनो प्रन्नुए नाश करवायी अचलवाताए त्र सो शिष्य सहित चारित्र आदरयु. परलोक बे के नथी, आ संशय बेदवाथी मेतार्ये त्रसो शिष्य सहित व्रत अंगीकार करयु.,मोद के नथी, आ संशयनो उत्तर प्रन्नुए वेद वचनवमे आपवाथी प्रनास नामना विप्रे त्र सो शिष्य सहित व्रत आदरयु.आ वखते आवी रीते इंश्तूति विगेरे अगीयार जगाए पोताना शंसयनो नाश थवाथी चुमालीशसो शिष्यो सहित दीक्षा लीधी. पी प्रनुए तेलने त्रीपदीनुदान करयु अर्थात् त्रिपदीनणावी एटले तेनुए हादशांगी रची. परीनगवाने ते अगीयारे जगाने पोताना गणधर पदे स्थाप्या.प्रन्नुने चौदहजार साधुन, शुक्ष शीलवंत त्रिशहज़ारं साध्वियो, एक लाख अने गणसाठ हजार श्रावको,त्रण लाख अने अढारहजार श्राविकान,त्रासो चौद पूर्वधारियो, तेरसो अवधिज्ञानि साधुन, सातसो व्रतधारी एवा केवलज्ञानीयो. सातसो वैक्रियल ब्धिने धारण करनारान, पांचसो मनःपर्यवज्ञानने धारण करनारान, चारसो वादलब्धिने धारण करनारा तपस्वीन, आठसो अनुत्तर देवलोकमां जनारान अने सातसो अंतेवासी सिझे, आ प्रमाणेनो परिवार हतो. प्रन्नु
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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