SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 464
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पांव चरित्र. ( ४५७ ) नां वाजत्रो जाणे विजयलक्ष्मीना कांऊरनो शब्द होयनी ? एम तीक्ष्णश( स्वोना समूदे करीने शोभतां हतां. महा दुर्जय शत्रुननी जालरूप अंधकार"ना समूहने नाश करतो एवो ते सुनटोनो समूह जाणे तीक्ष्ण कांतिवालो ने बहु लाल तेजवालो साक्षात् वीररस होयनी ? एम शोभतो हतो. वृकसमूsarsara विषे अने प्रकाशने विषे यता परुदान निश्वे रणानिलाबी सुनटोना सिंहनादने वृद्धि पमागता हता. ते वखते बन्ने सैन्यना चारे तरफश्री युनां महा वाजत्रो वागवा लाग्यां. तेमज जाणे नृदय पामता एवा सूfor tear अश्वनी स्पर्धा श्रीज होयनी ? एम श्रेष्ठ अश्वो खोखारा करवा लाग्या. रणसंग्रामरूप वर्षातुमां शत्रुनना समूहरूप घासने जक्षण करनारा अने करता मदरूप जलना समूहथी कादवरूप बनेली पृथ्वीमां चपल गतिवाला महा दस्तिन गर्जना करता बता शोभता दता. मेरी नोबत थने ढक्कादि वाजींत्रोना शब्दथी, तेमज महा पायदलना, रथना अने हस्तिनुना नादी सर्व जगत् शब्दमय थइ गयं. सुवर्ण अने रत्नोनी अद्भुत कांतिथी शोजता, हाथमां देदीप्यमान खकुने धारण करी रहेला, ढालोने नवालता श्रने मांज प्रवीण एवा योधान सर्व स्थानके फरता हता. हवे प्रथम महा डुईर एवा धनुष्यधारीयो पोतपोतानां धनुष्यनो वारंवार शब्द करता बता आागल चाल्या. तेमनी पाल युद्धमां नत्साहवंत एवा महा बलवाला तोमरधारी सुनटोए चालवा मांयुं. त्यारपवी अश्वोने पोताना कबजामा राखनारा प्रौढ स्फुरतीवाला स्वारो चालवा लाग्या. तेमनी पाबल उंची सुंढवाला, म्होटी सांकलोवाला अने महा जय नपजावनारा हस्तिनो समूह चाल्यो. त्यारबाद बत्रीश प्रकारनां शस्त्रसमूहथी नरपुर, पैमाथी पृथ्वीना तलने पीली नाखनारा ने युद्धमां उत्साहवंत एवा अनेक सुनोथी मनोहर एवा रथोनो समूह चाल्यो. या वखते मदा सैन्यना पाद महारथी होयनी ? एम तुरत महा कंपथी समुना जलो नबलवा लाग्या. पी बीजे दिवस स थ रहेली ते बन्ने सेनाना नचलता वीररसवाला उन्मट शस्त्रधारी सुनटीए युद्धनां वाजींत्रोना शब्दोथी रणसंग्राम आरंम्यो. तेमां ऊधारी योनी साथे खकुधारी योनो, रथीयोनी साथे रथीयोनो ने पायदलनी साथे महा सुनटोनो एम परस्पर संग्रामोत्सव थवा लाग्यो. जेम ज्वाज -
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy