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________________ पांमव चरित्र. ( एं). तानी मेले प्रसिद्धि पामेलो श्री धर्मपुत्र युधिष्ठिर, पवनना सरखा महानुजबलवालो पवन पुत्र नीम, त्रलोकमां विजय मेलवनार इं६ पुत्र अर्जुन अने महानुज पराक्रमवाला सहदेव तथा नकुल ए पांच पांमवो कहेवाय ने. ॥इति पांमवचरित्रे पांमवोत्पतिनामा प्रथमोधिकारः॥१॥ त्रण जगत्तुं रक्षण करनारा बे चरणकमलवाला, सत्पुरुषोने स्मरण करवा योग्य के नाम जेमनुं एवा, इंशदि देवतानए नमस्कार करेला अने श्रेष्ठ मुक्तिरूप स्त्रीना पति एवाश्रीनेमिनाथ नामना अरिहंत प्रनुने हुं नमस्कार करूं. हवे धृतराष्ट्रना कुर्योधनादि सो पुत्रो, पांमुराजाना युधिष्टिरादि पांच पुत्रो अने नागसारथीनो पुत्र कर्ण ए सर्वे निरंतर एकग मलीने क्रीमा करता हता. तेमां कुश् बुध्विालो अने बल करवामां तत्पर एवो बंधुसहित दुर्योधन पोतानी क्रीमाथी सरल स्वनाववाला पांगवाने निरंतर बहु तरतो हतो. हमेशां स्वन्नावश्रीज नहत आत्मावालो नीम, सो कौरवानी मायाने जाणीने तुरत तेनने पोताना बलवमे कुटतो अने नुज पराक्रमथी काढी पण मूकतो. एक दिवस नंघी गयेला नीमसेनने पुष्ट बुध्विाला कौरवोए उलथी बांधीने पाणीमां फेंकी दीधो. त्यां कणमात्रमा जागी गयेला तेणेपोताना पराक्रमश्री बांधेली दोरीने त्रोमी नाखी. आ प्रमाणे हमेशां धृतराष्ट्रना पुत्रो [कौरवो] ' वायुकुमार [नीमसेन] ने तिरस्कार करता. नीमसेन पण ते सर्वेने जेम विष्णु, दैत्योने परानव पमा तेम परान्नव पमामतो. उष्ट बुध्विाला जुर्योधने नीमसेनने नोजनमा विष आप्यु; परंतु ते तो तेने पुर्वपूण्यना योगथी अमृतरूपे परिणम्यु. प्रा एक अमने म्होटुं आश्चर्यकारी पयु. ए ड्र्योधन क्रोधथी नीमसेनने मारवा माटे जेजे प्रयत्न करतो, ते ते अपात्रने विषेआपेला दाननी पेठे निष्फल थता, पगी धृतराष्ट्रना र्योधनादि पुत्रो, पांमुना युधिष्टिरादि पुत्रो अने नागसारथीनो पुत्र कर्ण ए सर्वे कृपाचार्य गुरुनी पासे अभ्यास करवा लाग्या, अनुक्रमे अन्न्यास करता ए सर्वे कुमारोमां बुदिना गुणश्री कर्ण अने अर्जुन ए बन्नेजणा अधिकपणुं पाम्या. ते नपरश्री कपट चित्तवालो र्योधन, , ते बन्ने उपर निशंकपणे निरंतर शेष राखवा लाग्यो. को वन्नते.अनाध्यायना दिवसे क्रीमा करता ते कुमारोनो दमो कूवामी
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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