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________________ पांमव चरित्र. (४०१) सुख संपत्तिने क्यारे पण नहि पामतो तो बहु शोक करवा लाग्यो. पठी स्त्री पुत्रना बहु वियोग दुःखथी शांतनु राजाए मृगयानुं व्यसन त्यजी दश् चोविश वर्ष पर्यंत घरने विषेज निवास कस्खो. त्यारबाद स्वनावधीज नस्केरायेला ते महिपतिये स्त्री पुत्रना वियोगने नुली जइ तुरत पूर्वनी पेठे रसथी मृगया विनोद करवानो आरंज कस्यो. एक वखते मृगया करवाने वनमां गयेला ते नूपतिने हाथमां धनुष्यबाप धारण करनारा, शरणे आवेलानुं रक्षण करनारा, आनूषणोयी सुशोनित अंगवाला अने श्रेष्ठ आकृतिवाला को युवान् कुमारे आ प्रमाणे स्पष्ट कडं. “अरे ! अहिं सर्व जीवोनुं रक्षण करनार हुँ विद्यमान ता तुं पारधिनी पेठे निर्दयमनश्री मृगादि जीवोने नाश करनारी मृगया केम करे ले ? आस्थानके संसारना मूलरूप अने अपवित्र एवी मृगया त्यजी दे, नहि तो हुँ तने तुरत आ । बाणवझे मारी नाखीश."कुमारनां आवां वचनश्री शांतनु राजाए हसीने कडं. "हे बाल ! हुं त्हारां आवां वचनयी नय पामुं तेवो नश्री, अहो ! मृगना वालकनो शब्द सांजलीने | केशरीसिंह नाशी जाय खरो ? पगी बन्ने जणानुं बाणादि शस्त्रोवमे महा घोर युः चाब्युं, तेमां नूपतिनां सर्व बाणो कुमारे बेदी नाख्यां; परंतु दयाने लीधे तेणे राजाने मास्यो नहि. नूपतिये क्रोध क रीने कुमारनो नाश करवा माटे बहु बाणो मूक्यां, पण जेम वायुनी आगल । बीजा साधारण शब्दो निष्फल थाय तेम कुमारनी विद्याना बलथी निष्फल श्रेया. पनी पोताना सर्व सैन्यसहित शांतनु राजा कुमारनी संगाथे युःकरतो उतो विचारवा लाग्यो के, “आ कोई देवता म्हारी परीक्षा करवा आव्यो ने के शुं?" आ अवसरे युक्ष्ना नयंकर शब्द सांगली रणनूमिमां आवेली गंगाए पोताना पतिने तथा पुत्रने जोश बहु हर्ष पामता बता आ प्रमाणे कडं. "पोताना वंशमां मुक्ताफलरूप अने सगुणोथी मनोहर एवा हे पुत्र गांगेय ! हारा सरखाने क्यारे पण पोताना पितानी संगाचे युद्ध करवू योग्य नथी, : माटे तुं फट युध्ने त्यजी दइ नक्तिथी पोताना पितानां चरणकमलने प्रणाम । कर. कारण के, कुलीन पवित्र पुत्रो क्यारेय पितानुं मनवमे करीने पण अ। पमान करता नथी." पोतानी मातानां आवां वचन सनिली प्रबोध पामेला ९ श्रेष्ठ गांगेय कुमारे, युः त्यजी दर नक्तिथी पोताना पितानां चरणकमलने
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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