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________________ (३ए४) ऋषिमंमलरत्ति-पूर्वाई. त्यां निर्दूषण एवो दमदंत नामे राजा राज्य करतो हतो. आ वखते हस्तिना. पुर नगरमां शत्रुन्ना नुजबलने नाश करनारा पांच पांमवो, कौरव सहित राज्य करता हता. केटलोक काल गया पठी को कारणथी दमदंत नूपतिनी साथे पांडवोने वैर वधी पम्युं; ते एटले सुधी के, बहु शत्रुनना समूहने त्रास पमामवामां निपुण एवा पामवो कौरवोए नत्साह पमाझ्या पता बहु सैन्य लइ दमदंत नूपतिनी साथे प्रतिवर्षे महा जयंकर युह करता, जो के कौरवो. ना पक्षश्री पांमवो बहु बलवंत हता तो पण सिंहनी पेठे यु६ करता ते महा वलवंत दमदंत नूपतिथी तेन हार पामता. कल्पांतकालना समान महानयंकर एवो ते राजा ज्यारे युझ्नुमि प्रत्ये आवतो त्यारे कौरवो सहित बलवंत एवाय पण पांडवो दीन वनी जता. जो के विजय लक्ष्मीने मेलववामा आश्चर्यकारी एवो ते दमदंत नुपाल थोमा सैन्यवालो हतो तो पण पोतानाज नुजवलथी उर्जय एवा ते राजाए बहुवार पांमवोने जीत्या हता. को वखते प्रतिवासुदेव जरासंधनी सेवा करवा माटे दमदंत नुपति राजगृह नगर प्रत्ये गयो. पाउल उल जोश रहेला पांमवोने अवसर मल्यो तेथी तेन सेना लइ तुरत दमदंत राजाना देशनो नाश करवा त्यां गया. त्यां तेन गाम, नगर, श्राकर विगेरेने लुंटता लुंटता राजधानीमां आवी बुंट करवा लाग्या अने पोतानी मरजी मुजव बहु सुवर्ण रत्न विगेरे लश तथा घ.' णा एवा गायोना धणोने वाली संपूर्ण मनोरथवाला पांमवो कौरवो सहित पाठा वल्या. अदि तुरत नपरानपर आवेला बहु उतोथी पांमवोनां श्रागमनने सांन्नलवा मात्रयी बहु कोपायमान श्रयेलो दमदंत राजा पोताने तराएलो मानी तुरत जरासंधनी अाझा लइ पागे वख्यो. राजधानी अने देशनंगना :खने मनमा लावी पोतानुं सैन्य सऊ करीने महा कोपथी पुर तथा घारण करेला खायी नयंकर प्राकृतिवालो ए राजा जेम सींचालो चकलीने मारवा तैयार प्राय तेम शत्रुना सैन्यने मारवानी चाथी जेटलामां पांमवो ग्राम प्रयाणश्री पोताने सीमामे प्रावी पहोच्या तेटलामां ते तेमनी पाठल श्रावी पहोच्यो. पठी पांमनोनुं सैन्य पुरुषार्थ त्यजी दा कष्टयी जीव लेश्न ना थने हस्तिनापुरमा पेसी गयुं. पाठल पानी पेठे पांमवोना सैन्यने दो. मायनो मदानुलट दमदत नुपनि हस्तिनापुरने घेरो घालीने रहो, पांडवो
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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