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________________ श्री महावीरस्वामी चरित्र. (ए) जरतराजाए सित्तोतेर लाख पूर्व कुमार अवस्थामां, एकहजार वर्ष मांगलिक मां, एकहजार वर्षा एवा बलाख पूर्व चक्रवर्तीपणामां ने एकलाख पूर्व केवलीपणामां एम चोराशीलाख पूर्व सुधी आयुष्य जोगव्यं. भरतमुनिविहार का आवीने तेमना पुत्र आदित्ययशाने महोत्सवपूर्वक राज्याभिषेक करयो. या प्रमाणे युगादीश्वर प्रजुना आठ वंशजोने दे स्वर्गमांश्री प्रवीने महोत्सव पूर्वक अभिषेक करयो बे. ॥ इति श्री प्रदिनाथचरित्रं समाप्तम् ॥ बीजा जिनेश्वरोनां चरित्रो तो ज्यां ज्यां कह्यां होय त्यां त्यांथी जाणी वा; परंतु श्री महावीर स्वामीना चरित्रने तो श्री धर्मघोषसूरि पोतेज चवे बे 1 निप्रिपरी सहचंमुं, संजग्गुवसग्गवग्ग रिनपसरं ॥ संपत्त केवल सिरिं सिरिवीर जिलेसरं वंदे ॥ ५ ॥ + अर्थ - परीषदना सैन्यने जीतनारा, उपसर्गना समूह रूप शत्रुना युथने मर्दन करनारा केवलज्ञान रूपी लक्ष्मीने मेलवनारा श्री वीर जिनेश्वरने हुँ वंदना करूं बुं. २ पूर्व भवना संबंधी आरंभीने श्री महावीर स्वामीनुं चरित्र श्री रुषदत्त ने देवानंदाना अधिकारने विषे कदेलुं बे; माटे अदियां तो श्री महावीर स्वामीने थयेला उपसर्गों कही शुं. ते या प्रमाणे ॥ श्री महावीरस्वामी चरित्रम् ॥ श्री वर्धमान स्वामी ग्रहस्थावासमां त्रीश वर्ष रहने पछी चोस - ए करेला महोत्सव पूर्वक दीक्षा लीधी. कोइ वखते फक्त बेज घमी दिवस बाकी हतो ते वखते पोतानी पासे रहेला बीजा साधुननी रजा लइ श्री व ईमान स्वामी पोते कर्मार नामना गामे गया; परंतु त्यां अंधारुंथर जवाथी गामनी बहार कायोत्सर्गे रह्या पक्षी गाम मध्ये पेसता एवा कोइ गोवालीयाए तेमने कह्युं. "हे देव ! हे प्रार्य ! तमे हमणां प्रा म्हारा बे वाबकाने जोता रहेजो.” एम कहीन ते तो गाममां गयो, पाबल वाबगान पण चरता चरता 4
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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