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________________ श्री रथनेमिनी कथा. (३५३) बेसास्या. पठी पृथ्वी नपर चालता परिवार सहित दाशार्हनी, बलन्नर त| था कृष्णनी, कोटी कुमारोनी अने बीजा अनेक राजाननी साथे तथा आका शमां चालता देवताननी साथे श्री नेमिनाथ नग्रसेन राजाना घर तरफ चाख्या. पाउल दशाई, बलन अने कृष्णनी उत्तम सुशोनित आनूषणोने धारण करनारी तथा सुखासनमां बेठेली लाखो स्त्रीयो मधुर शब्दथी धवलमंगल गीतोने गाती ती चालवा लागी. श्रीजिनेश्वरनां मस्तक नपर स्पष्ट मुक्ताफलोथी सुशोनित नविन बत्र धारण करयु. जाणे श्री नेमिनाथना शरीरनी अंदरथीज साक्षात् गुणोनी पंक्ति निकली होयनी ? एम प्रन्नुना बन्ने पासे चंचल चामरोनी पंक्ति शोलती हती. प्रनुनी आगल सुखकारी वाजीशे वागता हता.तेमज गंधर्व अने मागध लोको दिव्य गायन करवामां तत्पर थया हता. वली “अखंमित सौन्नाग्यरूप अमृतना समुह, त्र जगतूनां नेत्रने आनंद पमामवामां चंप अने नज्वल एवा आ श्री नेमिनाथरूप चश्मा हवणां जेनो पति थशे, ते कन्या सर्व स्त्रीयोनी मध्ये धन्य अने त्र जगत्ने मान्य . वली निश्चे आथी तेनां पूर्वनां तपनुं फल प्रगट यु एम जाणवू." आम नगरवासी लोको वातो करताहता. आ वखते पृथ्वी नपर माणसो अने आकाशमां देवता माता नहोता. आ प्रमाणे म्होटी समृद्धियी हाथी उपर । बेठेला श्री नेमिनाथ प्रन्नु, नत्तम तोरणोधी सुशोनित एवा नग्रसेन नूपतिना घरप्रत्ये आव्या. पली जेटलामां पूर्वना आठ नवना मोहश्री श्री नेमिनाथने जोवा माटे नत्साहवंत श्रयेली, शृंगारथी सुशोनित आकृतिवाली, नत्तम आनूषणोने धारण करनारी वली प्रन्नुने आववाना रस्तामा वारंवार दृष्टि फेंकती अने हृदयमां वारंवार "श्री नेमि श्री नेमि" एम स्मरण करती राजीमती पोतानी सखीयोनी साथे गोखमां नन्नी हती तेटलामां म्होटा हाथी नपर बेठेला, पृथ्वी नपर कोटि यादवोथी अने आकाशमां कोटि देवताउथी विंटलायला श्री नेमिनाथ प्रन्नु तोरणे आव्या. श्री नेमिनाथ मनुने वारंवार जो ने राजीमतीने नत्कृष्ट आनंदनी संपत्तिथी रोमांच श्रवा लाग्यो, उग्रसेन पुत्री बहु कालपर्यंत रूपसंपत्तिथी अधिक एवा पोताना नविष्यना पतिने जोश्ने बहु हर्ष पामती ती मनमां विचारवा लागी. “नत्तम आचरणश्रीप- - , वित्र एवा अने जगत्मा श्रेष्ठ कहेवाता आ पति पोते आनंदणी लधु एवी मने
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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