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________________ पांचवाँ अध्याय - विशेष साधना तप – ३८४ मे ३९८ तप के ज्ञान चर्या आदि पाँचभेद । ज्ञान चर्या के आठ भेद । प्रायश्चित्तद्रुमरा तप और उसके आलोचन आदि चार भेद । प्रायश्चित्त और दंड का अन्तर । मया और तय | विनय तीसरा तप । विनय और शिष्टाचार भयको भेद प्रभेद । नत्र तरह के विनय पात्र | सात तरह का विजय परिचर्या चौथा तप । परिग्रह पांचवा तप | / छठ्ठा अध्याय - कल्याणपथ - ३९९ से ४३० बारह श्रेणियाँ। तीन आवश्यक तीन वन्दन । तीन अर्पण | धर्म समभाव, जातिसमभाव और सुधारकता की दम दस सूचनाएँ | दस अभ्यास धर्म । दान और त्याग । दान के चार प्रयोजनं । दान में विचारणीय विषय पात्र आदि का विवेक । पात्र के पांच भेद । ध्येय की दृष्टिसे दान के नव भेद | व्रती । सोगी । दानव । निर्भर । दिव्याहारी । साधु । तपस्वी । योगी चौदह स्थान । ज्ञानके दस स्थान । संयमस्थान और ज्ञानस्थानों का समन्वय । उपसंहार |
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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