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________________ ३९९ ] सल्यामृत - * आचार कांड [छा अध्याय .. कल्याण पथ ...... ....... भगवान सत्य और भगवती अहिंसा के पाने पर देखते नहीं हैं । काल-मोह स्वत्व-मोह आदि के लिये जिस विचार-शुद्धि आचार-शुद्धि और के कारण ये सचाई से दूर भागते हैं। विद्या कर्तव्य-कर्म की जरूरत है उसका काफी विवेचन बुद्धि है पर उसका उपयोग कल्याण-पथ की • किया जा चुका है। उससे कल्याण के मार्ग का खोज में नहीं करना चाहते, अपने तुच्छ स्वार्थ पता लग सकता है पर एक मनुष्य जो धीरे धीरे और अहंकार में फँमकर पंडित और विद्वान अपने जीवन का विकास करना चाहता है अपने कहलाकर भी सन्मार्ग नहीं पा सकते। ये लोग । जीवन को स्त्रपरकल्याणकारी बनाना चाहता है . गड्ढे में तो नहीं हैं किन्तु जमीनपर खड़े हुए हैं। वह किस क्रमे से कल्याण पथ में आगे बढ़े और मार्ग देखने की योग्यता है पर देखते नहीं है उस पिछले अध्यायों में बत.ये हुए आचार और पर विश्वास नहीं करते हैं। इन्हें हम भौम या विचार के तत्त्वों को जीवन में उतारे इसके लिये भूमिस्थ कहेंगे, क्योंकि ये ज़मीनपर हैं। यहाँ कुछ श्रेणियों का निर्देश करना है। एक ये दो तरह के प्राणी कल्याण-पथ की किसी • तरह से इन्हें हम साधक श्रेणियाँ कह सकते हैं। . भी श्रेणी में नहीं हैं इसके आगे बढने पर मनुष्य संसार के अधिकांश प्राणी कल्याण-पथ पर, कल्याण-पथ का पथिक बनता है। ज्यों ज्यों नहीं चल रहे हैं। उनमें कुछ प्राणी तो ऐसे हैं वह ऊपर चढ़ता जाता है त्यों त्यों उसका विकास जो कुछ समझते ही नहीं, वे ऐसे गड्ढे में पड़े हुए होता जाता है उसका जीवन स्वपर कल्याणकारी हैं कि कल्याण का पथ देखना चाहें तो भी देख विश्वसुखवर्धक बनता जाता है। कल्याण पथ नहीं सकते । इन्हें हम गर्तस्थ कहेंगे, की बारह श्रेणियाँ हैं । क्योंकि वे गर्त अर्थात् गड्ढे में पड़े हुए हैं । विद्या बारह श्रेणियाँ " बुद्धि विवेक इन में नहीं हैं। १ सदृष्टि २ सामाजिक ३ अभ्यासी . __ दूसरे प्राणी हैं जिनमें विद्या बुद्धि तो है ४ व्रती, ५ सुशील, ६ सद्भोगी, ७ सदाजीवक, पर विवेक नहीं हैं। ये लोग ऐसी जगह खड़े ८ निर्भर ९ दिव्याहारी १० साधु ११ सपस्वी हैं जहां से रास्ता देखना चाहे तो देख सकते हैं १२ योगी ।
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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