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________________ यहोवा और दूसरे देवता ७३ AAAAM यहोवा और दूसरे देवता यहोवा और अन्य देवताओंमें मुख्य फ़र्क यह है कि वह अकेला ही है। उसे न पत्नी चाहिए न साथी । दूसरे यह कि, उसे अपनी मूर्तियाँ नहीं चाहिए । अन्य देवता उससे बर्दाश्त नहीं होते । वह कहता है, " दूसरे देशोंके लोगोंके साथ संधि मत करो ..उनके पूजास्थानोंको तोड़ डालो और मूर्तियोंको फोड़ डालो—क्योंकि तुम्हें दूसरे देवताओंकी पूजा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि मैं मत्सरी ( ईर्षालु ) देवता हूँ, मेरा नाम मत्सरी है।" ( Exodus 34, 12, 14 ) तीसरे यह कि, वह राष्ट्रीय देवता है । यहूदी राष्ट्रके लिए यहूदियोंकी भी हत्या करनेको वह तैयार रहता है । हमारे ( भारतीय ) देवता स्वयं या अवतार लेकर दैत्यों, दानवों, राक्षसों या मानवोंको अवश्य मारते हैं; पर वे केवल भूभार दूर करने या गो-ब्राह्मणोंके लिए वैसा करते हैं । अकेला परशुराम अवतार ही अपनी जातिके लिए पृथ्वीको निःक्षत्रिय करनेवाला निकला। परंतु उसने ब्राह्मणोंका राज कायम नहीं किया और उसके प्रयत्नोंके बाद भी क्षत्रिय तो रहे ही! यहोबाने कनानके सारे लोगोंका नाश करके वह प्रदेश यहूदी जातिको दे दिया और वहाँ उनका राज प्रस्थापित किया। ईसा मसीहका यहोवा यहूदी लोगोंपर अनेक संकट आये। उनमें सबसे बड़ा संकट यह था कि ईसासे पहले छठी शताब्दीके प्रारंभमें बेबिलोनका बादशाह नेबूकद नेजार उन्हें पकड़कर वेबिलोन ले गया। वहाँ वे ७० साल रहे । ( Jeremiah 25, 11 ) ईसा मलीहके समयमें भी यहूदियोंकी हालत विशेष सन्तोषजनक नहीं थी । यद्यपि हेरोद नामका उनका राजा था,
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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