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________________ 'हत्या मत करो' आदि आज्ञाओंका अर्थ उन स्त्रियोंको जीवित रखा; इससे नाराज़ होकर यहूदी लोगों में ताऊ ( प्लेग ) फैला दिया गया । जब मूसाने स्त्रियोंको क़त्ल करवाया तब कहीं वह शान्त हुआ । ( Numbers 31, 15 ) ७१ एक बार कोरा, दाथान, अविराम, ओन और रूबेनके लड़कोंने मूसा के विरुद्ध शिकायत करना शुरू किया; तब यहोवाने पृथ्वीको चीरकर उसमें उन्हें गाड़ दिया और उनके साथके २५० लोगोंको जला डाला । ( Numbers 16, 32, 35 ) मूसाकी मृत्युके पश्चात् जोशुआ ( यहोशू ) यहूदियोंका नेता गया । उससे तो यहोवाने अत्यंत भयंकर काम करवाये । जोशुआने हज़ारों लोगोंको क़त्ल किया, अनेक शहरोंको साफ़ जला डाला, और कितने ही राजाओंको फाँसी पर लटका दिया । उसकी ये करतूतें पढ़नेपर कृष्णार्जुनद्वारा किये गये खांडववन - दहनका स्मरण हो आता है । ( हत्या मत करो ' आदि आज्ञाओंका अर्थ जब यहोवा स्वयं हत्या करता था और अपने भक्तों से करवाता था, तब ' हत्या मत करो ' - इस आज्ञाका अर्थ क्या था ? उसका अर्थ इतना ही था कि निरपराध यहूदियोंकी हत्या मत करो । ' तुम्हारे राजमें निरपराधका रक्तपात न होने पाये !' ( Deuteronomy 19. 10 ) परंतु, 'तुम अपनी आँखों में करुणाको मत आने दो; पर प्राणके लिए प्राण, आँखके लिए आँख, दाँत के लिए दाँत, हाथ के लिए हाथ और पाँवके लिए पाँव जाने दो। ' ( Deuteronomy 19, 21 ) स्वयं यहो - वाके लिए बलि चढ़ानी हो तो निरपराधकी हत्या करनेमें कोई हर्ज नहीं है । उदाहरण के लिए, जेफाने अपनी इकलौती बेटीको यहोवा के लिए *Also Exodus 21-23-24
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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