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________________ पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म mmmmmmmmm ऋषभ विजय, अचल, सुधर्म, सुप्रभ, सुदर्शन, नन्दि, नन्दिमित्र, राम, और पद्म, ये ९ बलदेव त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयंभू , पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुरुषपुण्डरीक, पुरुषदत्त, नारायण (लक्ष्मण), और कृष्ण, ये ९ नारायण; और अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधुकैटभ, निशुम्भ, बलि, प्रहरण, रावण और जरासन्ध ये ९ ( उनके ) प्रतिशत्रु । __ इस प्रकार कुल मिलाकर ६३ पुरुष होते हैं । इनमेंसे शांति, कुन्थु, और अर चक्रवर्ती होकर तीर्थकर बने । उनकी गिनती तीर्थंकरोंमें हुई है और फिर चक्रवर्तियोंमें भी हुई है। तीर्थकरोंकी ऊँचाई और आयुष्य ऊँचाई आयुष्यके वर्ष ५०० धनुष्य* ८४ लाख पूर्व . अजित ४६० , सम्भव ४०० , अभिनन्दन ३५० , सुमति । ३०० पद्मप्रभ २५० सुपार्श्व . २०० चन्द्रप्रभ १५० , पुष्पदन्त १०० , शीतल ९० , १ , " ___* देखिए, तिलोयपण्णत्ति ४१५७९-५८२। एक धनुष्य अर्थात् ४ हाथ या ६ फीट । ति० प० ४१५८५-५८७ ४८४ लाखका एक पूर्वाग और ८४ लाख पूर्वोगोंका एक पूर्व, अर्थात् ७७ लाख ५६ हज़ार करोड़ वर्ष ( सर्वार्थसिद्धि अ० ३।३१) ܕܕ ܂ ܕܕ ५० " "
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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