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________________ - कम्यूनिस्टोंका प्रचार www.rani हिन्दुस्तानकी प्रगतिके मार्गमें अंग्रेज़ोंने मुस्लिम लीगकी बड़ी दीवार खड़ी की है और उसे वे तोड़ना नहीं चाहते। हिन्दू समाजने इस दीवारके बनानेमें काफी मदद पहुँचाई है। सोवियत नेताओंकी तरह हमारे नेताओंमें भी जन-साधारणके प्रति आस्था होती आर मार्क्सवादसे सबका हित कैसे हो सकता है इसकी जानकारी होती, तो प्रथम महायुद्धके बाद रूसके साथ हम भी मुक्त हो जाते । पर हमने तो अपने अहितका ही मार्ग अपनाया । जब अंग्रेजोंके चकमेमें मुसलमान आ गए तो हम भी आर्यसमाज, शिवाजी-उत्सव, गणेश-उत्सव, राजपूतोंकी शूरताकी कथाएँ, हिन्दू-विश्वविद्यालय आदि बातोंको सतत प्रोत्साहन देते गए; जिससे हिन्दुओं और मुसलमानोंका मनमुटाव और भी बढ़ता गया। अब तो हमें होशमें आकर इस धार्मिक सांप्रदायिकताको हमेशाके लिए गाड़ देना चाहिए । हिन्दुओं और मुसलमानोंकी आर्थिक स्थिति समान ही है। ' मज़हब ख़तरेमें ' का प्रचार धूर्त लोगोंने अपने स्वार्थ-साधनके लिए किया है। उनकी बातोंमें किसीको नहीं आना चाहिए। कम्यूनिस्टोंका प्रचार सामान्य जनताकी बुरी हालत सबको दिखलाकर श्रमिकोंका संघसामर्थ्य बढ़ानेका प्रयत्न कम्यूनिस्ट यानी साम्यवादी कर रहे हैं । उसके लिए उनको बधाई देना उचित होगा; परंतु कभी-कभी अपने साध्यके लिए वे गलत तरीकोंको अपनाते हैं और लोगोंके अनादरका भाजन बनते हैं। मुस्लिम लीगको मदद देनेका उनका प्रयत्न ऐसे ही मार्गोंमेंसे है । शायद वे समझते हैं कि कांग्रेस और मुस्लिम लीगके झगड़ेमेंसे साम्यवादी राज्यका निर्माण हो जायगा । पर वह संभव नहीं है । कांग्रेसमें चाहे जितने दोष
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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