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________________ ०८ योगशास्त्र : एकादशम प्रकाश चाहिए। इन दोनों के भेव का माता योगी आत्मस्वरूप के निश्चय करने में विचलित नहीं होता बह इस प्रकार है अन्तःपिहितज्योतिः, संव्यत्यात्मनाऽन्यतो मूढः । : व्यत्यात्मन्यत हिििनवृत्तभ्रमा ज्ञानी ॥१०॥ अर्थ-जिसकी आत्मन्योति कर्मो से ढक गई है, वह मूढ जीव मात्मा से मित्र पुद्गलों (पदार्थों) में संतोष मानता है। परन्तु बाह्य पदार्थों में सुख की भ्रान्ति से निवृत्त मानी (योगी) अपने मात्मस्वरूप में ही आनन्द मानता है। उसी को कहते हैं पुंसामयत्नलयं ज्ञानवतामव्ययं पदं नूनम् ।. यद्यात्मन्यात्मज्ञानमात्रमेते समीहन्ते ॥११॥ अर्थ-यदि वे आत्मा में सिर्फ आत्मज्ञान को ही चेष्टा करते हैं और किसी अन्य पदायों का विचार भी नहीं करते हैं तो मैं निश्चयपूर्वक कहता हूं कि उन जानो पुरुषों को अनायास ही निर्वाणपद प्राप्त हो सकता है। इसी बात को स्पष्टरूप से कहते हैं श्रूयते सुवर्णभावं, सिद्धरसस्पर्शतो यथा लोहम् । आसध्यानारामा, परमात्मत्वं तथाऽऽप्नोति ॥१२॥ अर्थ-जैसे सिख रस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है, उसी तरह आत्मा का ध्यान करने से आत्मा परमात्मा बन जाता है। जन्मान्तरसंस्कारात् स्वयमेव किल प्रकाशते तत्त्वम् । सुप्तोत्थितस्य पूर्वप्रत्ययवत् निरुपदेशमपि ॥१३॥ अर्थ-जैसे निद्रा से जागृत हुए मनुष्य को पहले अनुभव किया हुआ कार्य दूसरे के कहे बिना, स्वयमेव याव आ जाता है। वैसे ही योगी पुरुष को पूर्व जन्म-जन्मान्तर के संस्कारों से उपदेश के बिना स्वतः ही तत्व प्रकाशित हो जाता है। जिस योगी ने पूर्व जन्म में बात्मज्ञान का अभ्यास किया हो, उसे निद्रा से जागे हुए व्यक्ति के समान स्वयमेव वात्मनाम हो जाता है । इसमें परोपदेश की आवश्यकता नहीं रहती। अथवा गुरुप्रसादाद, इहैव तत्वं समुन्मिपति नूनम् । गुरुचरणोपास्तिकृतः, प्रशमजुषः शुद्धचित्तस्य ॥१४॥ अर्थ-अथवा पूर्व जन्म के संस्कार के बिना ही गुरु-चरणों के उपासक प्रशम-रस सम्पन्न निर्मलचित्त साधक को गुरु-कृपा से अवश्य ही मात्मनान स्फुरित हो जाता है। दोनों बन्मों में गुरुमुखदर्शन की आवश्यकता बताते है तत्र प्रयमे तत्वज्ञाने, संवावको गुरुभवति । वयिता त्वपरस्मिन् गुल्मेव भगेत्तस्मात् ॥१५॥
SR No.010813
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmavijay
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1975
Total Pages635
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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