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________________ ५२. योगशास्त्र : पंचम प्रकाश अर्थ- प्राणवायु को जीतने से जठराग्नि प्रबल होती है, अविच्छिन्न रूप से श्वास को प्रवृत्ति चलती है, दम (श्वासरोग) नहीं होता, और शेष वायु भी वश में हो जाती है, क्योंकि प्राणवायु पर सभी वायु आश्रित हैं। इससे शरीर हलका ओर फ़तोला हो जाता है। तपा रोहणं क्षतभङ्गादेः उदराग्नेः प्रदीपनम् । व!ऽल्पत्वं व्याधिघातः समानापानयोर्जये ॥२३॥ अर्थ-समानवायु और अपानवायु को जीतने से घाव आदि जल्दी भर जाता है, टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है ! आदि शब्द कहने से उस प्रकार के सभी शारीरिक दुःख नष्ट हो जाते हैं. जठराग्नि तेज हो जाती है, मल-मूत्रादि अल्प हो जाते हैं और व्याधियाँ विनष्ट हो जाती हैं । तथा उत्क्रान्तिर्वारिपङ काश्चाबाधोदान-निर्जये । जये व्यानस्य शीतोष्णासंगः कान्तिररोगिता ॥२४॥ अर्थ-उदानवायु वश में करने से योगी उत्क्रान्ति (अर्थात् मृत्यु के समय बश द्वार से प्राणत्याग) कर सकता है। पानी और कीचड़ आदि पर चलने से उसका स्पर्श नहीं होता; कांटों या अग्नि आदि पर निरुपद्रवरूप में वह सीधे मार्ग के समान चल सकता है। तथा व्यानवायु वश करने से शरीर में सर्दी-गर्मी का असर नहीं होता; शरीर को कान्ति बढ़ जाती है और निरोगता प्राप्त होती है।' इस प्रकार प्रत्येक प्राण को जीतने का अलग अलग फल बतलाया। अब सब प्राणों को बीतने का सामूहिक फल बताते हैं - यत्र-यन भवेत् स्थाने, जन्तो रोगः प्रपीडकः। तच्छान्त्यै धारयेत् तत्र, प्राणादिमरुतः सदा ॥२५॥ अर्थ- जीव के शरीर में जिस जिस भाग में पीड़ा करने वाला रोग उत्पन्न हा हो, उसको शान्ति के लिए उस स्थान में प्राणादि वायु को हमेशा रोके रखना चाहिए। ऐसा करने से रोग का नाश होता है। पूर्वोक्त बातों का उपसंहार करके अब आगे के साथ सम्बन्ध जोड़ते हैं। एवं प्राणादि-विजये, कृताण्यासः प्रतिक्षणम् । धारणादिकमभ्यस्येत्, मनःस्थर्यकृते सदा ॥२६॥ अर्य-इस प्रकार प्राणाविवायु को जीतने का बार-बार अभ्यास करके मन की स्थिरता के लिए हमेशा धारणा आदि का अभ्यास करना चाहिए। बब धारणा आदि की विधि पांच श्लोकों द्वारा कहते हैं उक्तासन-समासीनो, रेचापानिलं शनैः। आपावाम गुष्ठपर्यन्तं, वाममार्गेण पूरयेत् ॥२७॥
SR No.010813
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmavijay
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1975
Total Pages635
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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