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________________ सौर मान से काल-गणना वर्षायनर्तुयुग पूर्वक मन सौरात्, मासास्तथा च तिथयस्तुहिवांश मानात् । यत् सूतक चिकित्सक वासरांध, तत्सावनाश्च घटिकाविक मार्म मानात् । . (वर्ष, अयन, ऋतु, युगादि का विचार मौर मान से. मास और तिथि विचार चान्द्र मान से. कृच्छ व्रत-सूतक-चिकित्सा के दिन-वार आदि का विचार सावन-मान से तथा घड़ी-पल आदि का विचार नाक्षत्र मान से करना चाहिये ।) वर्द्धमान महावीर का जन्म-स्थान १-कृण्डग्राम – काव्यशिक्षा २-कुंडग्गाम - आवश्यक नियुक्ति ३-क्षत्रियकुण्डग्राम ४-कुण्डलपुर ५-कुण्डलीपुर - चामुण्डराय (वर्द्धमान पुगण) ६-कुण्डपुर-आचण्ण वर्द्धमान पुग़ण ७-सिरिकुण्डगाम – नैमिचन्द्र मूरि, महावीर चरित ८-कुण्डला - आचार्यसक लकीति ९-वैशाली नामकुंडे - वैशाली के उन्खनन मे प्राप्त मुहर पर अंकित
SR No.010812
Book TitleTirthankar Varddhaman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandmuni
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1973
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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