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________________ आभार-दर्शन प्रस्तुत आगम 'दशवकालिकसूत्र' के प्रकाशन में श्रीमान् रतनलाल जी चतर ने पूर्ण अर्थसहयोग प्रदान कर संस्था के प्रकाशनों की परम्परा को सुदृढ़ बनाया है। एतदर्थ हम आपके आभारी हैं तथा आपके अनुकरणीय उदार सहयोग का हार्दिक अनुमोदन करते हैं। आप एक सरलमना धार्मिक प्रकृति के सज्जन पुरुष हैं, देवगुरु के भक्त, निरभिमानी और मिलनसार हैं । अपने पुरुषार्थ एवं व्यापार-कुशलता से आपने लक्ष्मी भी अजित की है और कीति भी। आपके परिवार का संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार पिता-श्री विजयलाल जी चतर, माता-- श्रीमती नजरबाई, जन्म-वि० सं० १९८८, पोषसुदि ७, पडांगा (अजमेर) भाई-श्री प्रेमचन्द जी, पुत्र पारसमलजी, राजेन्द्र कुमार जी, पुत्रियां सज्जनकुंवर, उषा, ममता, वि० सं० २००२ से आप ब्यावर में आड़त का व्यापार करते हैं । व्यापारिक प्रतिष्ठानों के पते इस प्रकार हैंज्यावर : १ चतर एण्ड कम्पनी, फोन : 567 दुकान मेवाड़ी बाजार 557 घर तार : पारस २ पारसमल पवनकुमार, मेवाड़ी बाजार, ३ घीसालाल कनकमल, मेवाड़ी बाजार, जयपुर- पारसमल एण्ड कंपनी फोन : 76423 नई अनाजमंडी, चांदपोल, तार: चतर
SR No.010809
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages335
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size13 MB
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