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________________ £*$*+*<**********OKOK **C श्री वैराग्य शतक जाषान्तर कथा साधे. (यावृत्ति चोथी . ) yasai घणा विस्तारयी वार्तारूपे अर्थ अनेनार्थ लखवामां भाव्यो हे. प्रसंगे प्रसंगे वैराग्य उपर अतिमुक्तकुमारनी, अढारनात्रानी, वृद्धावस्थाना दुःख उपर घनासार्थवाहनी विगेरे मोटी मोटी ११ कथाओवी हे तेथी आ पुस्तक वैराग्यदशाने जागृत करनारा स्त्री पुरुषोने घेणुंज उपयोगी थइ पढयुं हे. मा पुतकनी हुँक मुदतयां चोथी आवृत्ति यह छे तेज तेना उपयोगीपणानी विशेष खात्री छे. आ पुस्तकनी किंमत एक रुपीओ चार आना राखी छे, जोइए तेमणे नीचेना 'शीरनामेथी मंगावना. टपालखर्च वी. पी. साये त्रण' अना. जैन सूत्रो. विपाकसूत्र भाषान्तर-प्रथम स्कंध - दुःखविपाक जिसमें कर्मोंकें फळ दिखानेवाले दक्ष अध्ययनोंका समावेश है. 01110 उपाशकदशांग सूत्र- खंड २ जो भाषान्तर, जिसमें धर्मकी उपासना करनेवाला दश श्रावकोका इतिहा दिया गया है. उपाशकंदशांग सूत्र- खंड ३ जो भाषान्तर. जिसमें श्री निश्यावलिका कल्पवडंसिय, पुष्कीआ, पुष्पचूला और विन्दिदशा नामक उपदेशी जैनशास्त्रका सार लिखा गया है. 01310 01210 शा. बालाजार बगनलाल. ठे. कीकाभटनी पोळ. -अमदावाद. . ***************************
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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