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________________ 8| एक स्थळे एकगे करी प्रगट करवानुं काम उचितज ययु छे. आजना जीवन कलह (strugal of existencs) | ना समयमा वर्षा सूत्रो पांचवा जनसमूहने निरांत होती नयी तेमने आ एक ठेकाणे ३६ बोलनो थयेलो संग्रह बहु उपयोगी थशे. आ छत्रीश बोकमा घणी उपयोगी बाबतो समाववामां आवी छे. द्रव्ये ने भावे, स्वार्थे ने परमार्थे, धर्मने व्यवहारे पधी रीते आ पोलोना अभ्यासयी लाम थाय तेवु छ, माटे जे जे भाइयोने आ पुस्तक प्राप्त थाय तेणे नो सारो उपयोग करवो एटली विनंती छे. धर्मना फरमान प्रमाणे सर्वे प्रकारनी जतना राखी आ पुस्तक वाचवानुं छे. ज्ञाननो प्रसार करवो ए महा पुण्य काम छ एम काइ जैन सूत्रोण कहे छे एम नयी. श्रीमद्भगवदमीतामां पण कड्छे के " नहि ज्ञानेन सदृशं, पवित्रमिह वियते." अज्ञान एन अंधकार-एज माया के अविधा छे तेनो नाश करी आवी वातो समजावनारी पुस्तको उपयोगी शामाटे न गणाय ? आमांनी केटलीक वातो समजवी अथवा अनुभववी मुश्केल छे. जेमके आत्मा एक छे. "धर्मस्य सत्वं निहितं गुहायाम्" तथापि जो एवी वातो समजाय ने वर्तनमा मूकाय वो वेलासर बेडो पार-भव छेदन यइ जाय. मनुष्यनी परीक्षा श्रुत, शील, गुण ने कर्मवडे थाय छे अने आ ३६ वोलना संग्रहमायी ए चारे वातो मात याय तेम छे. दयाधर्मनी वृद्धिने माटे आवां पुस्तको उपयोगी छे. अर्थात् हिंसाए जगवने केटलू बधु नुकशान कर्य
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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