SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ยก तत्वार्थसून सापापनेथानी दुष्टकथाकाश्चव एशिक्षणादिकनिनेदुः श्रुतिनामस नर्थदंडदै !4! इसपेचपकारःअनर्थकात्याग सो अनर्थदंडविरविनाम सगुण है वहरि समस्तव्यनिभैरागद्वेषछांडिसमता देशकालकी मर्यादाकरिकैं समस्तसावद्ययोग त्यागिपरमात्मा का पचितवनकरनीतथाधर्मध्यानमैलीन पंचपरमेष्टी के गुएनिमेंएकाग्र । होइतीन काल में तिष्ठनांमोसामायिक शिक्षायदे || शव रिएक मा मैदो अष्टमी दोयचतुर्दशी नियारिपन में स्नान विलेपननूपण गंधमाल्या दिसमस्तत्या गिए कार्तमै वा साधु निके निवासमेवचित्याल यमैवाघोषधोपवास के ग्रहमै समस्तम कार्यादिकळांडिसदारादि कपंच इंद्रयके विषयनिकं त्यागिपंचपापनिका षोडशपहरपर्यंत त्या गरिधर्मध्मानसहित सोलह पहर व्यतीत करे सो घोषधोपवासनामा धणी
SR No.010804
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy