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________________ तिनसमंधितैजसारिहरु छितै होइहे।। सूत्रं ॥ श्रनंविश्रुद्धर्मव्याधा तिचादारकं प्रमत्तसंयत्तस्यैवाण आहारक शरीरप्रमत्त संयमी साधुकै दी होइहै||सोश्रुनर्मतैग्पज्याता श्रनहै॥॥॥॥॥विश्रुद्द कार्य करै तातें विश्र६है||आहारकःशरीरकाऊपदार्थतेंरुकै नाहीं॥ तातें अच्याद्यात्तिहै॥सू नारक संमूननपुंसका नियणानारकी जीवनिक सरसम्मूर्छनितन्म बलिजीव निकैनपुंसलिंगही होय है। ओरदोइ लिंगन दें। होइहै॥ सूत्रं ॥ नंदेव यशदेवनिकै नपुंसक लिंगनही होई है।। सूत्रं ॥ [शेषांस्त्रिबेदाः ||२| नारक अरमन मूर्ध्निःप्ररदेवनिविनां कर्मभूमिके गर्भजमनुष्पतिर्यचनिकेंती नोवेदहै||अरनोगनूमिके मनुष्प तिर्यच निकै पुरुषवेद अरस्त्रीबेदादोय दहि सूत्रं ऊपपादिकचरमोत्तमदेह संख्येयवर्षायुयानपवत्त्वीयुषः॥५३ देवनारकी श्ररचरमोत्तम देदकाधारी अर असंख्यात्त वर्ष की आयुका धारा
SR No.010804
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size39 MB
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