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उपपाद है। मैं सैंउपपाट्कया॥अवस्थानकहै?! कमायनिकैतीमंदप शांत संयमंकीलब्धिकेस्थानक असंख्यात है। तिनमें सर्वन धन्य संयमल स्थानअर कषायकुशल इनिदो निके होते असंख्यात स्थानलाई तौय पतलारजाय या पुलाकतोयु हितिहो। अरपा कषायकुशील संख्यात्तस्थान एकाकी नायपाचे क्षायकुशीलअरपत्ति सेचना कुशी लवकुशपतलारही असंख्यातस्थान गमन करे। पाछे वकुशमु वितिने प्राप्त होई है। तीगपच्चिस संख्यात स्थानजायपतिसेवनाकुशील मुग्दिनेघाप्त होई है!! तीवा पछि असंख्यात स्थान जाय कषायकुशील युधिति प्राप्त होई है।। यतिऊपरिएक स्थानजाय स्नातक निर्वाण प्राप्त होय है।। असे संयम लब्धि स्थान असंख्यात है।। तौ विभागपत्तिळे दनकी अपेक्षा अनंतकागुणकार है। सपु लाकादिक मुनिनिका