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________________ प्रमाणे, अहीं पण योजQ के आलोक संबंधी के परलोक संबंधी सांभळ्युं होय के न सांभळयु होय, देख्यु होय के नहि देख्यु होय, आचारतो ते ते दरेक. जातिना रुपमा राग गृद्धता, मोह के तल्लीनता न करवी, जो रुपमा राग विगेरे करशे तो आ लोकमां मनुष्य सूत्रम् विगेरेथी अने परलोकमां परमाधामीना मार पडशे. ॥१०७३॥ परक्रिया नामर्नु छटुं अध्ययन. ॥१०७३॥ रुप अध्ययन कहीने परक्रिया नामर्नु छठे अध्ययन कहे छे, तेनो. आ प्रमाणे संबंध छे. , गयां बे अध्ययनमां रागद्वेपनी उत्पत्तिनां निमित्त मधुर शब्द अने रुपनो निषेध बताव्यो, तेनेज अहीं बीजे प्रकारे कहेशे, आवे संबंधे आवेला अध्ययनना नाम निष्पन्न निक्षेपामां परक्रिया एवू आदान पदवडे नाम छे, तेमां प्रथम पर शब्दनो छ प्रकारनो दनिक्षेप अडधी गाथावडे कहे छे. . छक्कं परइकिक त १ दन्न २ माएस ३ कम ४ बहु ५ पहाणे ६। __'पर' शब्दनो छ प्रकारे निक्षेपो छे, नाम स्थापना सुगम छे, अने द्रव्यादि पर पण एकेक छ प्रकारे छे. ४ १ तत्पर २ अन्यपर ३ आदेशपर ४ क्रमपर ५ बहुपर ६ प्रधानपर छे. तेमां प्रथम द्रव्यपर तेजरुपे वर्तमानमा विद्यमान ल होय, जेमके एक परमाणुथी गेजो परमाणु जुदो छे अन्यपर ते अन्यरुपे पर छे, जेमके एक बे अणुवाळो, त्रण अणुवाळो तेमन | बे अणुवाळो एक अणुवाळो के त्रण अणुवाळो छे, आदेशपर ते आदेश (आज्ञा) अपाय छे ते, जेमके कोइ कार्यमा मजुर विगेरेने 18 स्खाय छे ते आदेशपर छे, पण 'क्रमपर' तो चार प्रकारे छे, तेमां द्रव्यथी क्रम पर ते एक प्रदेशिक द्रव्यथी चे प्रदेशिक द्रव्य छे 8 -RSSCR-4-SCRECER-S-600-SCRIBE
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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