SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 730
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आहार छुपावीने मांदाने कहे के आ आहार तमने आपतां वायु विगेरे वधी जशे माटे तमारे खावा. योग्य नथी, कारण के आ आचा० | अपथ्य छे. एटले तेना आगळ आहारन पात्र मुकी कहे के तमारे माटे साधुए आहार आप्यो छे, पण आ तो लूखो छ, तीखो छ, IP कडवो छे, कषायेलो खाटो मधुर छे. ते अमुक रोग उत्पन्न करे तेवो छे. माटे तमने तेनाथी उपकार थाय तेम नथी, आ प्रमाणे | ॥९३७॥ 18| कही मांदाने डरावीने–ठगीने पोते खाइ जाय ते माटे कपट कर्ये कहेवाय, तेवु पाप साधुए न करवं, त्यारे तेणे शुं करवू ? 8 62-% जे होय ते, मांदाने देखाडवु, अर्थात् कपट कर्याविना तने अनुकुळ होय ते बधो आहार समजावीने आपी देवो. भिक्खागा नामेगे एवमाहंसु-समाणे वा वसमाणे वा गामाणुगाम दुइज्जमाणे वा मणुन्नं भोयणजाय लभित्ता से य भिक्खू गिलाइ से हदइ णं तस्स आहरह, से य भिक्खू नो भुजिज्जा आहारिजा, से णं नो खलु मे अंतराए आहरिस्सामि, इच्चेयाई आइतणाई उराकम्म ।। (मू०६१) ते साधुओ सुंदर आहार लावीने पोताने त्यां रहेला अथवा नवा परोणा आवेला साधुओने मांदाने उद्दशीने कहे के, आमां४ थी मांदाने योग्य सारं सारुं भोजन लो अने ते न खाय तो पार्छ लावजो, पछी लेवा वाळो कई के हु तेने अंतराय पाडया विना 6 नेने योग्य आपीने वाकीनुं वधेलु पार्छ लावीश. पछो आहार लइने मांदाने आहार गया मूत्रमा वताच्या प्रमाणे खोटुं समजावी तेने ठगी ते पोते बधुं खाइ ले, अने आहार आपनार साधुओने मोडेथी जइने कहे के, ते साधुए कंइ लीधुं नहि. तो ते पार्छ । लावता मने वेयावच्च करतां गोचरी योग्य समये न वापरवाथी शूळ उठी, तेथी तमारी पासे पाछो आहार न लान्यो, (पण में SAE%e0-0017
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy