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________________ + परिज्ञामां में कह्यो छे, अने दरेक उद्देशानो अधिकार नियुक्तिकार पोते कहे छे. आचा० सयणे य अदढतं, बीयगंमि माणो अ अत्थसारो।भोगेसु लोगनिस्साइ, लोगे अममिज्जया चेव ॥१६३॥ सूत्र पहेला उद्देशाना अर्थ अधिकार ( विषय ) मां मातापिता विगेरे संसारी-सगामां साधुए प्रेम न करवो. ( न करवो, ए मूळ IRI ॥२२५॥ 18. सूत्रमा नथी; ते उपरथी लीधुं छे,) ते प्रमाणे आगळ सूत्र आवशे के, मारी माता, मारा पिता इत्यादि साधुने न जोइए. बीजा उद्देशामां संयममां अदृढपणुं (ढीलापणुं)न करवू; पण विषय अने कषाय विगेरेमां साधुए अदृढपणुं करवू; अने तेज सूत्र कहे छे के, अरतिमां बुद्धिमान पुरुष आसक्ति न करे. त्रीजा उद्देशामां मान ए अर्थसार नथी; कारणके, जाति विगेरेथी उत्तम साधुए कर्मवशथी संसारनी विचित्रता जाणीने बधा मदनां ठेकाणामां पण मान न करवू. कयु छे के-कोण गोत्रनो वाद करनारा? कोण माननो वाद करनारा छे ? चोथा उद्देशामां कहे छे के भोगमा प्रेम न धारवो कारण के सूत्रमा कहेशे, स्वीओथी लोकमां दुःख पामशे. अने तेनो मोह । छोडे तो तेथी तेमां भोगीओने भविष्यमां थतां दुःखो बतावशे. पांचमां उद्देशामां साधुए पोतानां सगां धन मान अने भोग त्याग्या छतां संयमधारक साधुए शरीरनी प्रतिपालना माटे गृह| स्थोए पोताना माटे करेला आरंभथी वनेली वस्तु लेवानी निश्राए विचरवु. तेज सूत्र कहेशे के समुस्थित अणगार होय विगेरे सुधो निर्वाह करे विगेरे छे. छट्टा उद्देशामां लोकनिश्रामां विचरता साधुए ते लोको साथे पहेलां के पछीनो परिचय थयो होय RC+%AAAAAACRECRS)
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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