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________________ ॥२७१॥ निदा पंचक तथा असाता वेदनिय ए छठें एक सागरोपमना सातमा भागना त्रण लेवा १४.) ते सागरोपमथी पल्योपमनो & आचा० असंख्येय भाग ओछो लेवो. सूत्रम् . साता वेदनीयनो काळ १२ मुहुर्त छे, अने अंतर्मुहूर्त्तनी अबाधा छे. तथा मिथ्यात्वनी सागरोपममा पल्योपमथी असंख्येय ॥२७॥ भाग ओछो लेवो. पहेला १२ कषाय ते सागरोपमना: लेवा अने पल्योपमथी असंख्येय भाग ओछो लेवो. संज्वलन क्रोधनी बेमास छे. माननीएक मास, मायानी अडधोमास; पुवेदनी आठ वर्ष स्थिति छे. आबधामां अंतर्मुहर्तनी अबाधा छे. बाकीना कपाय मनुष्य तिर्यंच गति पन्वेन्द्रिय जाति औदारिक तथा तेनां अंगोपांग तथा तैजस कार्मण छ संस्थान तथा संह18 नन वर्ण, गंध, रस. स्पर्श, तिर्यच, मनुष्य, अनुपूर्वी, अगुरुलघु, उपघात, पराघात, उच्छवास आतप उद्योत, प्रशस्त, अपशस्त विहायोगति, यशः कीर्ति. छोडीने त्रस आदि २० प्रकृति निर्माण नीचगोत्र देवगति अनुपूर्वी. मळीने २ तथा नरकगति अनुपूर्वी.२. वैक्रिय शरीर तथा अंगोपांग एम ६८ उत्तर प्रकृतिनी स्थिति : सागरोपम अने पल्योपमनो असंख्येय भाग ओछो छे. तेमां अंतर्मुहू-IPI 18/तनी अबाधा छे. वैक्रिय षट्कनी हजार सागरोपमना : भाग लेवा. तेमां पल्योपमनो असंख्येय भाग ओछो छे. तेमां अंतर्मुहूर्तनी द्र अबाधा छे. आहारक शरीर तेनुं अंगोपांग तथा तीर्थकर नामनी सागरोपम कोटीकोटी स्थिति छे. भिन्न अन्तर्मुहुर्त अबाधा छे. प्रश्न-उत्कृष्ट पण एटलीज स्थिति कही त्यारे जघन्य साथे तो शुं भेद छे ?
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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