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________________ उलटुं कहे छे. तीर्थङ्कर पोते बधा संशयने छेदनारा धर्म कहे छे, छता केटलाकने प्रबळ मोहना उदये घेरी लेवाथी संयममां खेद पामता रहे छे, (कांतो संयम लेता नथी, ले, तो पूरी पाळता नथी) तेवाने तमे जुओ गुरु शिष्यने कहे छे] ते बहोळा कर्मी संयआचा० मां दःख पामता जीवो केवा छे. ते कहे छे, आत्माना हितने माटे जेमनी प्रज्ञा [बुद्धि] काम करती नथी, ते अनात्म प्रज्ञावाला सूत्रम (कवदिवाळा) छे, प्र०-तेओ शा माटे संयममा खेद माने छे ? उ०-हुँ कहुं छु. अहो दृष्टांत वडे समजावे छे के शा कारणे तेओ खेद पामे छे. सूत्रमा 'से' शब्द 'ते' ना अर्थमां छे, 'अपि' शब्द 'च'ना अर्थमां छे, अने ते वाक्यना उपन्यास माटे छे] । कारण ॥६४६॥ कुंडना काचबानुं दृष्टांत. ___ कोइ काचवो मोटा कुंडमां विनिविष्ट[प्रेमी]चित्तवाळो वनीने गृद्ध बनेलो अने पलाश (कोमळ पांदडांवडे)ढंकायलो(तथा सूत्रमां81 प्राकतना नियम प्रमाणे व्यत्यय करवाथी)उन्मार्ग एटले, उपर आववानां विवर(छिद्र)ने मेळवतो नथी; अथवा, जेनावडे उंचे कदायः ते उन्मज्य छे. अथवा, उचे जवाय ते, उन्मार्ग छे, तेवो उन्मार्ग मेळवी शकतो नथी. अर्थात् जे कुंडमांते काचबो रहेल छे, ते. पाणी उपर पांददां विगेरे छवाइ जवाथी बीलकुल ढंकाइ गयो छे. तेथी ते काचबो बहार आवी शकतो नथी. आ कहेवानो आ सार छे: कोड मोटो कुंड होज एक लाख जोजनना विस्तारवाळो छे, अने ते अतिशे शेवाळना झुंडथी कठण बनी गयेला जाळोना समहथी ढंकाइ गयलो छे, अने ते कुंडना जुदा जुदा रुपवाळा करि मगर, माछलां, विगेरे जळचर जीवोनो आश्रय छे, तेना मध्य 18| भागमां कुदरतीज एक फाटर्नु बाकुं पडेलुं हतुं. जेमां फक्त काचवानी गरदन उंचे आवी शके तेवा कुन्डमांथी एक काचवाए पोताना टोलांथी जुदां पडतां वियोगथी आकुळ बनीने आम तेम गरदन फेरवतां कोइपण रीते तेवी भवितव्यताना योगथी ते काणामां पो वावलम्जर
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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