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________________ सूत्रम RECECA5-% 18 ममां रमणता न थवाथी मति अपरिणत थतां विचारे के एक समयमांज परमाणु लोकांते केवी रीते जाय एम खोटुं मानतां कोई वखत कु हेतुना वितर्कना प्रकट अवसरे पूरेपूरो मिथ्याखी बने छे, के चौदराज लोकनो एक छेडाथी बीजा छेडा सुधी जतां आ-6 आचा Pकाश प्रदेशने साथे स्पर्श न थवाथी समयनो भेद पड़े, ते भेद न पडे तो वे जग्याए एक साथे स्पर्श न थाय तेथी परमाणुन तेटला ६२०॥ पणुं थाय, एटले ते एवं माने के लोकने बन्ने छेडे रहेला प्रदेशोनो एक वखते परमाणुए स्पर्श को माटे तेटलो मोटो परमाणु छ, । अथवा-ते वन्नेनुं छेटे परमाणु जेटलुं छे, आ तेनुं मानवु खोटुं छे. पण ते आग्रही बनेलो विचारतो नथी, के विस्रसा परिणामवड़े। रमाणु ॥२०॥ शीघ्र गतिपणाथी परमाणुनुं एक समयमां असंख्येय प्रदेशनु गमन थाय छे, जेमके आंगळीना माप जेटला एक द्रव्यना असंख्यात से | आकाश प्रदेश छे, तेटला बधाने एक समयमा परमाणु ओळंगी जाय छे. म०-ए केवी रीते बने ? उ०-जे प्रत्यक्ष देखाय छे ते ना नहि पाडी शकाय, कारण के ज्यां सौने देखीतुं प्रत्यक्ष प्रमाण होय, त्यां अनुमान विगेरेनुं प्रयोजन नथी जो एक समयमां अनेक प्रदेश ओळंगवा न मानीये तो अंगुल मात्र प्रदेश ओळंगतां असंख्येय समय नीकली जाय, तो आपणे देखेखें इष्ट छे तेने पण 3 बाधा आवे, माटे ते शंका नकामी छे. (४). हवे भांगानी समाप्ति करवा परमार्थ बतावे छे. भगवाननु वचन साचुं छे, एवं मानीने शङ्का विगेरे छोडीने ते वस्तु यत्न वडे. तेवा रुपेज सम्यक् अथवा असम्यक पूर्वे भावी होय तो पण गुरुना सहवासथी तेमनो उपदेश विचारतां ते शिष्य श्रद्धावाळो थाय छे, जेम इर्यापथमा उपयोग राखनारने कोइ वखत जीवहिंसा थाय. (तो पण तेने दोष लागतो नथी.) (५) हवे तेथी उलटुं बतावे छे, कोइ वस्तु खोटी रीते मानतां छद्मस्थ साधुने -त्वलनवलन्छ लनल
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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