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________________ सूत्रम् HD अशक्य कार्यमां विचार्या विना अशक्य अनुष्ठानमा वर्ते छे, अने लोभनी इच्छा पूरण करवामां व्या- कुल मतिवाळो बनीने आचा० शुं करे छे, ते कहे छे ते लोभीओ बोजा पाणीओना वधमां तत्पर थाय छे, अने बीजा जीवोने शरीर तथा मन संबंधी परिताप करावे छे तेज प्रमाणे वे पगवाळां मनुष्य चार पगवाळां मनुष्य पशु विगेरेनो संग्रह करे छे, तथा जानपद एटले जन ॥४२॥1 पदमां थएला काळ प्रष्ट विगेरे अथवा राजा विगेरेनो वध करवा तैयार थाय छे, अथवा लोकोनी निंदा माटे कृत्य करे छे, ६ एटले आ चोर छे एम वीजानी चुगली करे छे, अथवा पारकानां छिद्र उघाडे छे, अथवा मगध विगेरे देशो जीतवा यत्न करे छे (मूळ सूत्रमा क्रियापद नथी लीधुं ते लेवू) आ प्रमाणे लोभीआ मनुष्यो वध विगेरे क्रिया करे छे के बीजं पण पण करे छे ते वतावे छे. आसेवित्ता एतं (वं) अहें इचेवेगे समुटिया, तम्हा तं बिइयं नो सेवे, निस्सारं पासिय नाणी, उववायं चवणं णच्चा, अणणं चर माहणे, से नछणे न छणावए छणंतं नाणु जाणइ, निविंद नंदि, अरए पयासु. अणा मदस्तिनिसपणे पावेहिं कम्मेहिं (सू० ११४) उपर बताव्या प्रमाणे बीजा जीवोनो वध करवो, संग्रह करवो, तथा बीजा जीवोने दुःख देवु विगेरे पाप करीने पोताना लोभनी इच्छा पूर्ण करीने केटलाक मनुष्यो भरतचक्रवर्ती विगेरे (ते जीवोना थता दुःखने नजरे देखीने वैराग्य पामीने) मन वचन है कायाना दुष्ट व्यापारने धिक्कारी शुभ व्यापारमा एटले संयम अनुष्ठानमा यत्न करे छे अने महान तपश्चर्या करवाथी तेज भवमां E4 %E -E- %E2
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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