SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिद्ध वि. परमागमकी शाख, परम अगम गुरणगरण सहित । सोई मनमें राख, श्रद्धायुत पूजा करो ॥५७॥ , ॐ ह्री परमागमसिद्धाण नम. अध्यं । गुरण अनंत परकाश, महा विभवमय लसत है। प्रावरिणत पद नाश, ते पूजू प्रणमू सदा ॥५॥ ॐ ह्री प्रकाशमानसिद्धाण नमा अध्यं ।। स्वयं सिद्ध भगवान, ज्ञानभूत परकाश मय । लसत नमूमन आन, मम उर चिता दुख हरो ॥५६॥ ____ॐ ह्री णमो स्वयभूसिद्धाय नम प्रय॑ ।। मन इन्द्रियसों भिन्न, मनइन्द्री परकाश कर । सोई ब्रह्म अखिन्न, साधित सिद्ध भये नमू॥६०॥ ॐ ह्री णमो ब्रह्मसिद्धाय नम. अध्यं । द्रव्य अनन्त गुणात्म, परणामी परसिद्ध के। सोई पद निज प्रात्म, साधत सिद्ध अनंत गुरण ॥६१॥ ॐ ह्री णमो अनन्तगुणसिद्धाय नमः अध्यं । प्रथम पूजा
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy