SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 407
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ FRPRADEED अक्षाधीन हीन है शक्त, तिसको नाश करी निज व्यक्त। सिद्ध०॥ ॐ ह्री अहं तुच्छमावमिदे नम अध्यं ।।८२३।। जीवादिक षट् द्रव्य सुजान, तिनको भलीभांति है ज्ञान । सिद्ध०॥ ॐ ह्री प्रहं षद्रव्यदृशे नमःअध्यं ।।१२।। विकलरूप नय सकल प्रमाण, वस्तु भेद जानो स्वज्ञान । सिद्ध०॥ ॐ ह्रीं अहं सकलवस्तुविज्ञात्रे नम अध्यं ।।१२।। सब पदार्थ दर्शन तुम बैन, संशय हरण करण सुख चैन । सिद्ध० ॥ ___ॐ ह्री अहं पोडशपदार्थवादिने नम. अध्यं ।।८२६॥ वर्णन करि पंचासतिकाय, भब्य जीव संशय विनशाय । सिद्ध०॥ ॐ ह्रीं अहं पचास्तिकायबोधकजिनाय नम प्रध्यं ।।८२७॥ प्रतिबिंबित हो प्रारसि माहि, ज्ञानाध्यक्ष जान हो ताहि । सिद्ध०॥ ॐ ह्री अहँ ज्ञानाध्यक्ष जिनाय नमःअध्यं ॥२८॥ जामे ज्ञान जीव को एक, सो परकाशो शुद्ध विवेक । सिद्ध० ॥ अष्टम ॐ ह्री प्रहं समवायसार्थक जिनाय नम अध्य ।।२९।। पूजा भक्तनिके हो साध्य सु कर्म, अन्तिम पौरुष साधन धर्म। सिद्ध० ॥ ३७३ ॐ ह्री ग्रह भक्तैकसाधकधर्माय नम अध्यं ।।३०।। maanwunnuwanwwwwwwww mome manurmurarmmmm RAMIN
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy