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ॐ सप्रति-काल-श्रेयस्कर स्वर्गावतरण - जन्माभिषेक परिनिष्त्र मरण - केवलज्ञान-निर्वारणकल्याण-विभूपित - महाभ्युदया श्रीवृपभ प्रजित शभव - अभिनदन-सुमति-पद्मप्रभ-सुपार्श्व-चंद्रमिद्ध० प्रभ-पुष्पदत-शीतल श्रेयो - वासुपूज्य - विमल - अनत-धर्म-शाति कुथु र मल्लि - मुनिसुव्रत - नमिनेमि- पार्श्व-वर्द्धमानाश्चेति-वर्तमानचतुर्विंशतिपरमदेवाश्च व प्रीयन्ता प्रीयन्ताम् ॥ धारा ॥२ ॐ भविष्यत् कालाभ्युदय - प्रभवा महापद्म-सुरदेव - सुप्रभ-स्वयप्रभ सर्वायुध-जयदेवउदयदेव-प्रभादेव–उदङ्कदेव - प्रश्नकीर्ति- जयकीर्ति-पूर्ण बुद्ध-नि कपाय - विमलप्रभ- बहलगुप्तनिर्मल गुप्त - चित्रगुप्त-समाधिगुप्त-स्वयभू-कदर्प- जयनाथ - विमलनाथ - दिव्यवाक -अनतवीर्याचेति चतुर्विंशति-भविप्यत्परम- देवाश्च व प्रीयता प्रीयन्ताम् ।। धारा ।। ३ ।।
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३०
ॐ त्रिकालवर्ति-परमधर्माभ्युदया सीमधर-युग्मवर - बाहु-पुनाहु-सजातक स्त्रयप्रभ-ऋपभेश्वर-अनतवीर्य-सूरप्रभ-विशालकीर्ति वज्रधर चंद्रानन चद्रबाहु भुजगेश्वर-नेमिप्रभ - वीरसेनमहाभद्र जयदेव -जीत वीर्याश्चेति पच- विदेह - क्षेत्र- विहरमारणा विशति परमदेवाश्च व प्रीयन्ता प्रीयन्ताम् || धारा ॥ ४ ॥
ॐ वृषभ-सेनादि गणधर - देवा व प्रीयन्ता प्रीयन्ताम् || धारा ॥ ५ ॥
ॐ कोष्ठ-बीज-पादानुसारि - बुद्धि-सभिन्न श्रोत्र प्रज्ञा श्रवरणाश्च व प्रीयन्ता प्रीयन्त म् || धारा ॥ ६ ॥
ॐ ग्रामर्ष - वेड जलविडुत्सर्ग- सर्वोपधि ऋद्धयश्च व प्रीयन्ता प्रीयन्ताम् || धारा ||७||
ॐ जल-फल- जघा - तन्तु-पुष्प-श्रेणि-पत्राग्निशिखाकाश- चारणारच व प्रीयन्ता प्रीयन्ताम् || धारा ३०
ॐ आहार- रसवदक्षीण - महानसलयाश्च व प्रीयन्ता प्रीयन्ताम् ||धारा ॥ ६॥
ॐ उग्र- दीप्त- तप्त - महाघोरानुपम तपसश्च व प्रीयन्ताम् प्रीयन्ताम् ॥धारा ॥ १०॥ ॐ मनोवाक्काय- वलिनश्च व प्रीयन्ता प्रीयन्ताम् ॥ धारा ॥ ११॥