SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२६ तीर्थकर विधि विभव नाश निज पद लहो, ध्यावत है जगनाथ तुम्है हम अघ दहो ॥१४६॥ सिद्ध ॐ ह्री तीर्थंकरप्रकृतिरहिताय नम अध्यं। वि. चाल छंद- जो कुम्भकार की नाई, छिन घट छिन करत सराई। सो गोत कर्म परजारा, हम पूज रचो सुखकारा ॥१४७॥ ॐ ह्री गोत्रकर्मरहिताय नम अध्यं । लोकनिमें पूज्य प्रधाना, सब करत विनय सनमाना। यह ऊंच गोत्र परजारा, हम पूज रचो सुखकारा॥१४८॥ ___ॐ ह्री ऊ चगोत्रकर्मरहिताय नमः अध्यं । । जिसको सब कहत कमीना, आचरण धरे अति हीना। यह नीच गोत्र परजारा, हम पूज रचो सुखकारा॥१४॥ ॐ ह्री नीचगोत्रकर्मरहिताय नम अध्यं ।। ज्यो दे न सके भण्डारी, परधनको हो रखवारी। यह अन्तराय परजारा, हम पूज रचो सुखकारा॥१५०॥ ॐ ह्री अन्तरायकमरहिताय नम मध्यं । षष्ठम पूजा १२६
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy