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________________ सिद्ध० वि० १३ भूमि शुद्धि विधान Stray से निम्न प्रकार मंत्र पढकर भूमि का शोधन करे । ॐ ह्री वातकुमाराय सर्व - विघ्नविनाशाय मही पूता कुरु कुरु ह्र फट् स्वाहा । इसके पश्चात् निम्न श्लोक एव मत्र पढकर डाभ के पूले को जल मे भिगोकर भूमि पर छिड़कते समय यह मन्त्र पढे । संति केचिदिह दिव्य -कुल- प्रसूता नागा प्रभूत-बल-दर्प- युता विबोधाः । संरक्षरणार्थममृतेन शुमेन तेषां प्रक्षालयामि पुरतः स्नपनस्य भूमिम् ॥ ॐ क्षा श्री क्ष क्षक्ष ॐ ह्री प्रहं मेघकुमाराय वरा प्रक्षालय प्रक्षालय र ग्रह त स्व झ य क्ष पट् स्वाहा । इसके बाद मडप रक्षार्थ चार प्रकार के देव तथा दिक्पालो को बुलावे और मडप के चारो ओर पुष्पक्षेपण करे । चतुरंगकायामरसंघ एष प्रागत्य यज्ञे विधिना नियोगम् । स्वीकृत्य भक्त्या हि यथार्हदेशे सुस्था भवंत्वान्हिक कल्पनायाम् ॥ हमारे इस जिन पूजा विधान मे हे भवनवासी, व्यतर, ज्योतिष्क एव कल्पवासी देवो । पधार कर अपने नियोग को स्वीकार करो और जिन सेवा मे तत्पर हो तिष्ठो । ( पुष्पक्षेपण करे ) तत्पश्चात् वास्तुकुमार जातिके देवो को कहे और पुष्पक्षेपण करे । भ्रष्टम पूजा १३
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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