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________________ बवहार माए अनत्तढे नवश्. एवं खलु एसा वइरमज्जा चंदपमिमा अहासुत्तं अ- उद्देसओ. ॥१५८॥ 8॥१०॥ हाकप्पं जाव अणुपालित्ता नवइ ॥ ४ ॥ भावार्थ ॥ ४ ॥ वज्र मध्य चंद्र पडिमा अंगीकार करनार साधुने अंधारीया चंद्र पक्षना पडवाने दिवसे पनर दात अननी ने पनर दात पाणीनी लेवी कल्पे. सर्वे दपद चौपद आहारनी इच्छावालाने आहार मळ्या पछी ज्यांलगे आहार न लीए. वीजने दिवसे चौद दात भोजननी लेवी कल्पे ज्यांलगे आहार न लीए. त्रीजने दिवसे तेर दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यां लगे आहार न लीए. चोथे बार दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. पांचमे अगीयार दात भोजननी लेवी Bा कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. छठे दस दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए: सातमे नव दात भोजननी | लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. आठमे आठ दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. नोमें सात दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. दसमे छ दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. अगीयारसे पांच दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. बारसे चार दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. तेरसे त्रण दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. चउदसे बे दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. अमासे एक दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. शुकलपक्षनी पडवाने दिवसे बे दात भोजननी लेवीं कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. बीजने दिवसे त्रण दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. त्रीजे चार दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. चोथे पांच दात भोजननी लेवी कल्पे, ज्यांलगे आहार न लीए. पांचमे छ 15॥१५॥
SR No.010798
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages398
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size14 MB
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