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________________ 15 उद्देस ववहार० ॥११२॥ %AREER मूळपाठ ॥ २३ ॥ सारिए' उवस्सयं विकिणेजा, से य कइयं वएजा। इमम्हि य इम. म्हि य ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्ति, से सारिए पारिहारिप . से य नों वएजा, कइए वएका से सारिए, पारिहारिए. दो वि ते वएक्जा, दो वि सारिया' पारिहारिया ॥ २३ ॥ भावार्थ ॥ २३ ॥ जे कोइ सेज्यांतर उपाश्रयने वेची नाखे पण तेम करती वखते ते वेचाण लेनारने एम कहेजे आटली जग्या श्रमण निगंथने रहेवा माटे छे तो ते वेचनारने सेज्यांतर गणी ते सेज्यांतरना घरनो आहारपाणी लेवो नहि. जो त वेचनार सेज्यांतर एम न कहे पण वेचाण लेनार एम कहे जे आ जग्या श्रमण निगंथने माटे रहेवा देजो तो ते वचाण लनारने सेजांतर गणी तेनो आहारपाणी लेवो नहि. जो वेचनार ने लेनार बन्ने एम कहे. ज्यां लगे बन्नेने सेजांतर गणी तेमनो आहारपाणी बन्नेनो लेवो नहि ॥ २३॥ उपर सेज्यांतरनो आहारपाणी न लेवा आश्री का. हवे ते स्थानकनी आज्ञा मागवानी विधि कहे छे॥ -4- अर्थ ॥ २४ ॥ वि० विधवा । धु० बेटी वळी । ना० पीताने। कु. घेर । वा० रहेनारी श्राविका । सा० छ । वि० ज तहना । ओ० (अवग्रह) आज्ञा । अ०मागवी होय। किं. शं कहेवं । पु० वळी । पि० पीतानो । वा० २२ मां पाठान्तर मुजब २३ मां जाणवो. OCTOR ॥११॥
SR No.010798
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages398
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size14 MB
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