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________________ श्रीउपदेशपदे an ECHOCOASRASHOCHS ॥४०१॥ है सिवराइणो सिवाए देवीए सुया समुप्पण्णा ॥ ८३ ॥णामेणुम्मायंती उम्मायंती मणाणि तरुणाण । पत्ता जोवणमुच्च- विषया स्थणच्छण्णं बहललावणं ॥ ८४ ॥णाऊण विवाहोचियमेयं जणणी कयाइ कयण्हाणं । सबंगगहियसिंगारमणहरं अप्पए भ्यासाहपिउणो ॥ ८५ ॥ सोवि य तीए रूवं निभालिउं तो समाउलो जाओ। को नाम होज उचिओ इमीए भूवोलतणएसु रणे शुक॥८६॥ जुत्तो सयंवरविही वरेउ तो तम्मि निययइच्छाए । एवं कए न दोसो अणुचियवरदाणओ मज्झ ॥ ८७॥ शुकीउत्तरइओ सयंवरकए अइविउलो मंडवो निवसुया य । दूयमुहेण सुबहुया आहूया सबओ तत्थ ॥ ८८॥ मिलिया चलंत रभवस्वसियचारुचामरीछत्तछाइयदियंता। सुपसत्थदिणे वीवाहणत्थमन्भुट्ठिया सवे ॥ ८९ ॥ तेसिं निवणंदणाण मज्झे चत्तारि ६ रूपयुतं से चऊसु विज्जासु । रायसुया कोसलं पत्ता बहुजणकयाणंदं ॥ ९०॥ जोइसविसए सिंहो विमाणविज्जाए पुण पुहविपालो ।। चरित्रम्र गारुडविजाए अजो ललियंगो धणुहविजाए ॥ ९१॥ सावि य कयसिंगारा तत्थेव समागया भणइ एवं । जोइसविमा णधणुगारुडेसु जो पत्तकोसल्लो ॥ ९२॥ एगम्मिवि सो मज्झं होइ वरो तो पबंधिउं राहं । ललियंगो धणुवेए पवीणयं दंसए तीसे ॥ ९३ ॥ तो तीए समुग्गयगरुयतोसपसराए तस्स कंठम्मि । उक्कंठियाए खित्ता वरमाला चलिरभमराली ॥९४ ॥ एत्थंतरम्मि केणावि वम्महुम्माहिएण खयरेण । अवहरिया मायागोलगोब साऽदसणीभूया ॥ ९५ ॥ सवे ललियंगाई रायसुया तीए जणगलोगो य । अप्पाणं मन्नंता परिभूयं लजमणुपत्ता ॥ ९६ ॥ सामत्थेण तओ कयमन्नेसिज्जइ र इमा पयत्तेण । अन्नह अपोरिसकहा आससिसूरं न फिट्टेही ॥९७ ॥ जोइसविउणा णिवणंदणेण भणियं इमेरिसे लग्गे। अवहरिया सा जत्तो समागमो अक्खओ होही ॥ ९८॥ घडियं तक्खणमागासगमणसज्ज विमाणमन्नेण । जोइसियक CHICASA POSTULESTE
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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