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________________ estanica पारालनियंमियकोवेण जणहणेण तो भणियं । इहि मज्झ परिक्खा कज्जइ घी! तुम्ह चरियमिणं ॥ ३१५ ।। जइया स उमनाहो मंगामसिरम्मि निफरो विहिओ । भग्गा य अमरकंका तया परिक्खा न मे विहिया ॥ ३१६ ॥ अभुग्गलोहदिंडेण तेण तेसि रहा मरोमेण । परमाणुनिपिसेसा जहा तहा चुणिया जाया ॥ ३१७ ॥ निविसया आणत्ता अह हरिणा गंतण गयउरे पंडस्म सरूवमाहंस ॥ ३१८॥ तेणवि कुंती कण्हतियम्मि तकालमेव पेसविया। भणिया जहा पमन्नो एमो होउत्ति तह जयसु ॥ ३१९॥ सप्पणयं तह तह भासिओवि जइया न रोसमुझेइ । भणियं जीग तया भरपद्धमिमं तुहायत्तं ॥ ३२० ॥ ता कत्थ जंतु ते कहसु संपयं अप्पणा तुमं चेव । कोमलहियएणुत्तं दाहि जलहिन्म तीरम्मि ।। ३२१ ॥ तो हत्थिणाउराओ सपरियणा तत्थ गंतु विरयंति । पंडुमहुराभिहाणं नगरि कंचित्ति [भिमायं ।। ३२२ ॥ ते विउलभोगभायणमेत्थवि जाया परूढरजभरा । अह दोवई कयावि हु पगभगभा समुन्भूया ॥ ३२३ ॥ मामाण नवण्हमइकमम्मि दारयमुदारस्वधरं । सुकुमालपाणिपायं निरोगतणुं पसूयत्ति ॥ ३२४ ॥ निबत्तवार माहम तस्म नाम इमेरिसं विहियं । जं पंचपंडवसुओ होइ इमो पंडुसेणोत्ति ॥ ३२५ ॥ कालम्मि कलाउ सुनिम्मलाउ पावरिपि कलियाभो । जाओ भोगसमत्थो सो जुबरजम्मि अहिसित्तो॥ ३२६ ॥ अह तत्थ कयाइवि जलहिगभगंभीरमाणमा धेग। भयकमलाण भाणू समोसढा असढपरिणामा ॥ ३२७॥ नयराओ जणो तह पंच पंडवा तेसिं वंदणनिमित्तं । नाहरिया परिकहिओ धम्मो पंचवि पवुद्धा ते ॥ ३२८ ॥ भालयलमिलियकरकमलजुगलया बजरंति पुच्छामो। दे दवयंगरुहं पुत्तं रजम्मि ढायेमो ॥ ३२९ ॥ जा ताव तुम्हपयपंकयस्स मूले वयं पवंज्जामो । पुत्तारोवियरजा समगं R-CAREER
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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