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________________ HAMARITA-A मला नयरी कण्हो रहारडो॥ २८३ ॥ पागारपरिसरे गंतुमोयरेऊण नारसिंहतणू । सज्जो विउपई पायदहरं तह करेट उदा ॥ २८ ॥ टलटलियमरालयसिहरभारभजंतमेइणीवीढा । खुम्भंततुंगपासायमंडला सा पुरी जाया ॥२८५॥ कयपminोसे किंचिदवायं परं अपासंतो। दुवयमुयाए समीवे गंतुं दीणाणणो भणइ ॥ २८६॥ तुह कुवियाए फलमिमं दिदं एनो मा उकिं कजं । सा भणइ ममं घेत्तुं कण्हस्स पुणो समप्पेसु ॥२८७॥ सप्परिसाण अमरिसो पणास नमो जो होड। एवं कयम्मि जीयं रजं च अगंजियं होही ॥ २८८ ॥ हायनिवेसियसुइवत्थ जुवलओ दोवाइ परोपागंत पाए अभिवंदिऊण एवं खमावेड ॥ २८९॥ दिह्रो परकमो तुम्हमेवमच्चभुओ पुणो नाहं । एवं कयाड माणिजो मेयराहोऽयं ।। २९० ॥ निझाडियगचं सबहेव काउंस पउमनरनाहं । नियनयरीए विसज्जइ सयं रहाब्दो घेर्नु ॥ २९१ ॥ दुवयमुयं पंडुसुया जेणेव उवेइ तं समुप्पइय । नियनयरिं पइ चलिओ स अप्पछटो छहिं रहेहिं । ॥ २०२ ॥ जम्मि ममयम्मि संखो हरिणा मुहवायपूरिओ विहिओ। चंपापुरीए तव्भरहअडराया कविलनामा ॥ २९३ ॥||२ मामि तदा मुणिमुघय नामा अरिहा समोसढो बाहिं । धम्मं तदंतिए सो सुणेइ तह संखसदं च ॥ २९४ ॥ ताहे विल-16 समो नो बितेद्र दुइजओ हरी किमिह । उप्पन्नो जं नन्नो इयरस्सिइ पंचजन्नाओ ॥ २९५ ॥ भणियं जिणेण नेयं भूयं । न भविस्मई नवा भवइ । जिणचकिहराईया जमेगखेत्ते दुवे होति ॥ २९६ ॥ जंबुद्दीवगभारहवासाओ हत्थिणागनयरामो । मुण्टा पंदुस्म सुयाण भारिया एत्थ पंचण्हं ॥ २९७ ॥ आणीया पुवावजिएण देवेण पउमनाहकए । तो वारवइ ग. निगमगा। AISRIPUSSISSHOSHIREOSASHES
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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