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माटो॥ २१ ॥ तो पयसंगयामरपणिहाणपरोस अदम कुणइ । तप्पजते सयमेव भणइ स सरो परमनाहं ॥ २२०
उचियंते का तं भासह तो भणाइ सो एवं । जंबुद्दीवाओ भारहाओ हत्यिणपुराउ तहा ॥ २२१ ॥ पंचण्हं पंडवाणं शायणि दुवयस्म अंगसंभूयं । भुवणंगणापहाणं इच्छामी दोवईदेविं ॥ २२२ ॥ इहमाणीयं तो भणइ एस एयं कयाइ नो सोड। ज पंचपंडवे यज्जिऊण सा अन्नमभिलसइ ॥२२३॥ तुह पुण पियसंपायणहेउं तं इहिमेत्थ आणामो । सुत्तं जुहि-18 द्विरेणं मदिराओ स अवहरइ ॥ २२४ ॥ आणेइ पउमनाहस्स मंदिरे तं असोगवणियाए । ठावेइ साहिउँ जहवुत्तं निय- ठाणमणुमरद ।। २२५ ॥ सा तक्खणं पवुद्धा जा नियइ पलोयए ण तं भवणं । णो उववणं विलक्खा चिंतइ हीही किमे
यति ।। २२६ ॥ देवेण दाणवेण व कस्सइ भूमीवइस्स गेहम्मि । अहमाणीया कहमन्नहा खणा एरिसं जायं ॥ २२७ ॥ दाउमोवि नियो हाओ कयसिंगारो सहोवरोहेण । जेणेव दोवई जाइ जाव ता तं निहालेइ ॥ २२८ ॥ ओहयमणसंकप्पा
भणिया सा तेण करसि किमेवं? । तं पुषसंगएणं सरेण मम हेउमाणीया ॥ २२९ ॥ता भहे! रमस ममं एसो सबो विते
परिवारो। तो भणइ दोवई मम कण्हो पियभाउगो अस्थि ॥ २३०॥ बारवईए पुरीए सो जइ मासाण छण्हमारेण । न है। कुणेद मज्म तत्तिं तो तंज भणसि तं काहं ॥ २३१ ॥ तेणावि य पडिवन्नं कन्नतेउरगयं तयं कुणइ । अंविलपग्गहिएणं । रिटेणनया अमुफेण ॥ २३२ ॥ तवकम्मणा परिगया सा धीरा तत्थ ठाइउं लग्गा । एत्तो मुहुत्तमेत्ता जुहिडिलो जाव नागरिओ ॥२३३।। ताव न पेच्छइ सेज्जायलम्मि देविं ससंभमो ताहे । मग्गणगवेसणं सबओवि तो काउमारद्धो ॥२३४॥ अलहंतेण पभाए निवेइओ रयणिवझ्यरो अन्नो । नियर्किकरविणिओगेण तेण सबम्मि तम्मि पुरे ॥ २३५ ॥ आघोसणा
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